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जिसे बनाया, वही बन गया अंतिम रास्ता

By Edited By: Published: Wed, 30 Jul 2014 04:14 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jul 2014 01:00 AM (IST)
जिसे बनाया, वही बन गया अंतिम रास्ता

नीरज दुसेजा, नगरोटा बगवां

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जिस रास्ते को वे बनवा रहे थे, वही उनकी अंतिम यात्रा का गवाह बन गया। कुदरत का कहर पहाड़ी से चट्टान बनकर टूटा तो घर का इकलौता चिराग बुझ गया। वहीं, दो अन्य साथी भी जान गवां बैठे।

नगरोटा बगवां के पास बलधर-जसौर संपर्क मार्ग पर कार पर चट्टान गिरने से हुई तीन युवकों की मौत से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।

क्षेत्र के जानेमाने सरकारी ठेकेदार बीपी शर्मा निवासी घुरकड़ी के बेटे धरिंद्र शर्मा ने कड़ी मेहनत से व्यापार को बुलंदियों तक पहुंचाने में कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन भगवान को कुछ ओर ही मंजूर था।

तो एक ऐसा नौजवान भी हादसे में खो गया, जिसने हाल ही में ठेकेदारी के क्षेत्र में विशेष पहचान बनाई थी। नवदीप ठाकुर सरकारी और निजी निर्माण कार्यो कुशलता से अंजाम देते हुए बढ़ रहा था, लेकिन होनी को कुछ ओर ही मंजूर था।

उधर, राजकुमार (53 मील) ने हाल ही में ठेकेदारी के क्षेत्र में भाग्य आजमाने के लिए कदम रखा था, लेकिन उसके सपने भी अधूरे ही रह गए। नगरोटा बगवां उपमंडल के तहत बलधर-जसौर मार्ग का ठेका प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ही लोनिवि ने इन युवकों को दिया था।

महिला ने रोका भी था, लेकिन..

हादसे से पहले एक महिला ने सिर से निकल रहे खून को दिखाते हुए गाड़ी को रोकने का प्रयास भी किया, लेकिन ठेकेदार उसे अनदेखा कर आगे निकल गए। सत्या देवी के अनुसार वह उन्हें सचेत करना चाह रही थी कि पहाड़ी से पत्थर गिर रहे हैं.. आगे मत जाओ, क्योंकि उसका भी सिर फूट चुका था, लेकिन कुछ दूरी पर ही यह युवक देखते ही देखते मौत के आगोश में समा गए।

देरी से पहुंची जेसीबी, लोगों ने की नारेबाजी

कार पर चट्टान गिरने के बाद वहां काम रहे रहे लोगों लोक निर्माण विभाग की जेसीबी को बुलाया, लेकिन वह देरी से पहुंची।

जब जेसीबी पहुंची उससे पहले ही युवकों को एंबुलेंस के माध्यम से टांडा अस्पताल भेजा जा चुका था। इससे खफा लोगों ने लोनिवि विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। दीनानाथ, फौजी राम, प्यारे लाल, बलदेव, करनैल, हरनाम, वार्ड पंच मुंशी व मंजीत ने आरोप लगाया कि लोनिवि को कई बार इस चट्टान के गिरने का अंदेशा जताया गया था, इसे नहीं हटाया गया। लोगों ने बताया कि युवकों को कार से निकालने में दो घंटे लग गए। यदि जेसीबी समय पर पहुंच जाती तो इन्हें जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सकता था।


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