जमीन तर होते ही धान की बुआई में जुटे किसान
संवाद सहयोगी, नूरपुर : पिछले तीन दिन से नूरपुर क्षेत्र में हो रही बरसात से खेत पानी से लबालव होते ही किसान धान की बुआई में जुट गए है। नूरपुर उपमंडल में अधिकांश किसान सिंचाई के लिए केवल इंद्र देवता पर ही निर्भर है। किसान पिछले डेढ़ माह से बारिश का इंतजार कर रहे थे। लेकिन समय पर बारिश न होने के कारण पिछले डेढ़ माह से धान की बुआई का काम लटका हुआ था। जानकारी के अनुसार नूरपुर क्षेत्र में लगभग 5872 हेक्टेयर भूमि पर धान की बुआई होती है। जबकि 4640 हेक्टेयर भूमि पर मक्की की तथा 1846 हेक्टेयर भूमि पर गेंहू की बिजाई होती है। आने वाले दिनों में यदि बरसात जारी रहती है तो किसानों द्वारा बोई गई धान की फसल बच सकती है। किसान समय पर बारिश न होने से परेशान थे, क्योंकि समय पर बारिश न होने से धान की बुआई में काफी देरी हो चुकी थी। विभागीय जानकारी अनुसार ज्यादातर किसान पहली जून से 15 जुलाई के मध्य में धान की बुआई का काम निपटा लेते थे, लेकिन समय पर बारिश न होने से अब धान की पैदावार भगवान भरोसे है।
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क्या कहते है किसान
क्षेत्र के किसानों सुभाष सिंह सलगोट, मुकेश शर्मा, सुदर्शन ठाकुर, जोगिंद्र सिंह, जतिंद्र सिंह, सुशील कुमार, राजकुमार, बिल्लू, विशंभर सिंह, होशियार सिंह, गोपाल, रविंद्र चौधरी व विनोद शर्मा ने बताया कि समय पर बारिश न होने के कारण नूरपुर उपमंडल में धान की बुआई का काम लटका हुआ था तथा किसान पिछले डेढ़ महीने से आसमान की तरफ टकटकी लगाए बैठे थे। किसानों को यही इंतजार था कि कब मेघ बरसें और वह धान की बुआई करें। उन्होंने माना कि धान की बुआई करीब डेढ़ माह की देरी से शुरू हुई है तथा यदि आने वाले दिन में बरसात जारी रही तो धान की अच्छी पैदावार हो सकती है व यदि बरसात नाममात्र हुई तो धान की फसल तबाह भी हो सकती है।
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क्या कहते है अधिकारी
कृषि विभाग के नूरपुर स्थित विषयवाद विशेषज्ञ एसएस खालसा ने बताया कि नूरपुर उपमंडल में ज्यादातर किसान सिंचाई के लिए केवल बारिश पर ही निर्भर है तथा बारिश देरी से होने के कारण क्षेत्र में धान की बुआई का काम लगभग डेढ़ माह की देरी से हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि आने वाले डेढ़ माह तक क्षेत्र में अच्छी तरह से बारिश होती है तो यह धान की फसल के लिए वरदान साबित होगी।