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अव्यवस्था; कूड़े में जूते, प्रसाद की बेकद्री

By Edited By: Published: Thu, 10 Apr 2014 01:34 AM (IST)Updated: Thu, 10 Apr 2014 01:34 AM (IST)
अव्यवस्था; कूड़े में जूते, प्रसाद की बेकद्री

रितेश ग्रोवर, कांगड़ा

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श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर में फैली अव्यवस्था से यहां माथा टेकने आए श्रद्धालुओं की आस्था को गहरी ठेस पहुंची। इसके चलते मां के भक्तों को कूड़ा स्थल से अपने जूते व चप्पल ढूंढ़ने पड़े तो नवमी पर कंजक पूजन प्रसाद के ढेर कूड़ेदान में लग गए।

नवमी पर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ तो उमड़ी, लेकिन श्रद्धालुओं को सही मार्ग दर्शन के अभाव ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया।

पहला मामला

श्रद्धालुओं ने बज्रेश्वरी मंदिर के पास राधा कृष्ण मंदिर व नेहरु चौक पर जूते व चप्पल उतारे थे, लेकिन प्रशासन की ओर से लगाए गए सफाई कर्मचारियों ने इन्हें उठाकर कूड़ा स्थल पर फैंक दिया। मां के दर्शनों के बाद लौटे श्रद्धालुओं को अपने जूते व चप्पल न मिले पर तो उन्हें पता चला कि इन्हें सफाई कर्मचारी ले गए हैं। कुछ श्रद्धालुओं ने कूड़े के ढेर से अपने जूते व चप्पल निकाल लिए, लेकिन अधिकतर नंगे पांव ही घर गए। श्रद्धालुओं ने बताया कि जूते के शैड की जानकारी न होने पर उन्होंने रास्ते में इन्हें उतार दिया था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनके साथ ऐसा बर्ताव होगा।

दूसरा मामला

कंजक पूजन के लिए बांटा गया प्रसाद भी कूड़े एकत्रित स्थल पर पहुंच गया। व्यर्थ गए हल्वा पूड़ी के प्रसाद का ढेर इतना ज्यादा था कई भूखे लोगों का पेट भर जाता। मंदिर के वरिष्ठ पुजारी पंडित राम प्रसाद शर्मा का कहना था कि प्रसाद को व्यर्थ में कूड़े में फेंकना तर्कसंगत नहीं है। हर बार ऐसा ही होता है। मंदिर ट्रस्ट की अपनी गोशाला है और ऐसे में प्रसाद को व्यर्थ में फेंकने से बचाया जा सकता था। मंदिर प्रशासन को इस पर फैसला लेना चाहिए। मंदिर में इस बार सफाई व्यवस्था को लेकर भी उन्होने मंदिर सहायक आयुक्त को शिकायत दी है।

मंदिर के कर्मी नहीं थे :बडियाल

कांगड़ा मंदिर अधिकारी पवन बडियाल ने कहा कि श्रद्धालुओं की जूते व चप्पल कूड़े स्थल पर फेंकने के पीछे मंदिर के सफाई कर्मचारी नहीं है। ये मंदिर के अंदर तक सीमित ही है।

मार्ग दर्शन के अभाव में ऐसा : शर्मा

मंदिर के वरिष्ठ पुजारी पंडित विश्व कात शर्मा का कहना था कि मंदिर प्रशासन के मार्ग दर्शन के अभाव में श्रद्धालुओं के साथ ऐसा हुआ है। उधर, नवमी को छुट्टी होने से नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी से बात नहीं हुई।


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