पूर्व जन्मों के कर्म से प्राप्त होती है भागवत कथा : ब्रज राज
संवाद सहयोगी, नादौन : गीता भवन पत्तन बाजार में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक श्रीधाम
संवाद सहयोगी, नादौन : गीता भवन पत्तन बाजार में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक श्रीधाम वृंदावन से आए ब्रज राज महाराज ने कहा कि भागवत कथा पूर्व जन्मों के कर्मो से प्राप्त होती है। इसका श्रवण करने मात्र से ही व्यक्ति पापों से छुटकारा पा लेता है। बाल लीलाओं का वर्णन करते उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण ने गोपियों का माखन चुराया इसमें गोपियां वैष्णव हैं और माखन विशुद्ध मन का प्रतीक है। जब हमारा मन माखन की तरह पावन निर्मल विशुद्ध रूप हो जाता है तो हमें भगवान के पास जाने की आवश्यकता नहीं रहती क्योंकि भगवान स्वयं चलकर हमारे मन को चुराने आते हैं। भगवान ने मिट्टी खाई है जो मिट्टी ब्रज रज में है।
भगवान कृष्ण कहते हैं कि मैं खुले पग इस ब्रज रज में चलता हूं इस रज को मेरे भक्त वैष्णों ग्रहण करते हैं। भगवान ने कहा है कि जो जिस भाव से मुझे भजता है मैं उसी रूप में उसे प्राप्त होता हूं अर्थात यह मेरे वैष्णों की रज है तो मैं भी इसे स्वीकार करूं। उन्होंने बताया कि भगवान ने चीरहरण लीला की है इसका अर्थ है कि उन्होंने वासना के वस्त्रों को चुराया है। रास लीला के द्वारा जीव शिव की एकता हुई है। उन्होंने बताया कि परमात्मा से एक रस होने की कथा का नाम महारास है। भगवान का विवाह रूकमणी से हुआ है जो कि लक्ष्मी का स्वरूप है और वह स्वयं नारायण के स्वरूप हैं। लक्ष्मी को प्राप्त करना है तो उसे मां या बेटी के रूप में ही प्राप्त किया जा सकता है। लक्ष्मी विनय से उपयोग के लिए है अविवेक से भोग के लिए नहीं है।