किताबों के बोझ तले दब रहा बचपन
जसवीर कुमार, हमीरपुर
जिस उम्र में हल्का वजन उठाने की क्षमता होती है उस आयु में पीठ पर भारी भरकम किताबों का बोझ उठाने से नौनिहालों में बैकबोन की समस्या बढ़ रही है और साथ ही वे मानसिक तनाव से भी गुजर रहे हैं।
नौनिहालों को किताबों का भारी बैग उठाने के कारण पीठदर्द के साथ-साथ मानसिक तनाव की समस्या अक्सर रहती है और वे होमवर्क भी सही ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। अभिभावकों अशोक सिंह, प्रवीण चंद, किशोर, राजकुमार, देशराज, हामिद सिंह व सुरेंद्र ठाकुर का कहना है कि बच्चों को भारी किताबों का बोझ उठाना पड़ता है। बच्चे इतना भारी बैग नहीं उठा पाते हैं और अभिभावकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूलों में अतिरिक्त किताबों के कारण बैग का बोझ बढ़ रहा है। उनके अनुसार स्कूल शिक्षा बोर्ड को चाहिए कि निजी स्कूलों के सिलेबस को चेक किया जाए अन्यथा अतिरिक्त लगाई गई किताबों को बंद करने के निर्देश दिए जाएं। गौरतलब है कि निजी स्कूलों में पाठ्यक्रम के हिसाब से कई गुणा ज्यादा किताबें व कॉपियां लगा दी जाती हैं और ये बच्चों को रोजाना स्कूल ले जानी पड़ती हैं। उधर, क्षेत्रीय अस्पताल में फिजियोथेरेपिस्ट के पास भी गत वर्ष कुछ ऐसे मामले सामने आए थे, जिनमें भारी स्कूल बैग उठाने के कारण बच्चों को पीठ व गर्दन में दर्द हुई थी।
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पीठ व कंधों में आती है समस्या : राणा
क्षेत्रीय अस्पताल में तैनात फिजियोथेरेपिस्टअनिल राणा ने बताया कि बच्चों को सरबाइकल की समस्या भारी चीजों को उठाने से होती है। स्कूल बैग को उठाने से पीठ व कंधों में समस्या आती है और इससे बचाव करना जरूरी होता है।
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भविष्य में हो सकती है दिक्कत : चौहान
क्षेत्रीय अस्पताल हमीरपुर के एसएमओ रमेश चौहान का कहना है कि बच्चों में बैकबोन के मामले बहुत कम आते हैं। बच्चों में ज्यादा बोझ उठाने की क्षमता नहीं होती है लेकिन हर दिन भारी बैग उठाने से पीठ व गर्दन पर भार पड़ता है और इस कारण उन्हें आगे चलकर परेशानी हो सकती है।