मां की परेशानी में झुलसी मासूम
राजेंद्र डोगरा, धर्मशाला घर में तनाव की चिंगारियां कुछ इस कदर निकली की बेबस मां ममता को आग की भें
राजेंद्र डोगरा, धर्मशाला
घर में तनाव की चिंगारियां कुछ इस कदर निकली की बेबस मां ममता को आग की भेंट चढ़ाकर खुद चिकित्सालय में उपचाराधीन है। वह चाहती तो थी जीवन को मिटाना पर आग ने उसे नन्ही बेटी वेदिका से उम्रभर बिछुड़ने के जख्म दे दिए।
चिकित्सालय में उपचाराधीन भुवनेश्वरी देवी को अब घावों के दर्द के साथ कहीं अधिक पीड़ा अपने गलत निर्णय से खोई नन्ही वेदिका की जुदाई की है। वह बार-बार एक ही बात दोहरा रही है कि मेरी वेदिका कहां है। हालांकि वेदिका की जान बच भी जाती, लेकिन हादसे के समय ऐसा किसी को भी आभास नहीं था कि घर के अंदर एक 14 माह की बच्ची भी है। जब राहत कार्य में आसपास के लोग जुटे तो नन्ही वेदिका का दादा फूट-फूटकर रोते हुए यही कह रहा था कि कोई तो हमारी बच्ची को निकालो लेकिन बचाव कार्य में जुटे लोगों को यह आस भी जगी कि अब शायद आग पर काबू पा लिया जाएगा। बस कुछ समय बाद ही अचानक आग का एक गुब्बारा निकाला। मौके पर आग बुझाने में जुटे और छत पर चढ़े लोग भी इस दौरान बाल-बाल बच गए, क्योंकि अचानक निकले आग के गुब्बारे से सब हैरान रह गए। इस दौरान कयास यही लगाए जा रहे थे कि शायद अंदर रखा सिलेंडर फट गया और यही कारण है कि आग फिर से प्रबल हो गई इस दौरान आग बुझाने के लिए पहुंचे अग्निशमन कर्मियों पर भी लोगों में कुछ समय के लिए गुस्सा दिखा कि आखिर जब छोटी गाड़ी यहां आ सकती है तो उसे क्यों नहीं लाया जा रहा है। अग्निशमन की गाड़ी को गमरू स्कूल के पास खड़ा किया था। लोगों के बार-बार आग्रह के बाद गाड़ी को लाया गया और इसके लिए बकायदा जीप योग्य मार्ग पर खड़ी गाड़ियों को भी हटाया गया। इसके बाद अग्निशमन कर्मियों ने आग बुझाने का कार्य शुरू किया और करीब सवा 12 बजे वेदिका के शव को निकाला जा सका। आग को बुझाने सहित दो मंजिला स्लेटपोश मकान में रखे सामान को निकालने में स्थानीय बाशिंदों के अलावा विदेशियों ने भी सहयोग दिया। गमरू तक सड़क न होने से अग्निशमन की बड़ी गाड़ी के न पहुंचने पर लोगों में रोष दिखा। हर किसी की जुबां पर यही था कि यहां सड़क होनी चाहिए।