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जीत का जुनून, अनदेखी का दर्द

दिनेश कटोच, धर्मशाला बैंकॉक में हुई एशियन गेम्स में उधार के पैसों से देश को तीन हजार मीटर की दौड़ म

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 May 2017 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 26 May 2017 01:00 AM (IST)
जीत का जुनून, अनदेखी का दर्द
जीत का जुनून, अनदेखी का दर्द

दिनेश कटोच, धर्मशाला

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बैंकॉक में हुई एशियन गेम्स में उधार के पैसों से देश को तीन हजार मीटर की दौड़ में कांस्य पदक दिलाने वाली साई हॉस्टल धर्मशाला की धाविका सीमा का सपना ओलंपिक में मेडल जीतना है। वीरवार को बैंकॉक से धर्मशाला पहुंची सीमा के चेहरे पर कांस्य पदक जीतने के उत्साह के साथ-साथ प्रदेश सरकार की अनदेखी का दर्द भी साफ झलक रहा था। इसका आभास उसकी बातचीत से स्पष्ट तौर पर हो रहा था।

बकौल सीमा, प्रदेश सरकार को उभरते खिलाड़ियों का सहयोग करना चाहिए। सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये से ही अक्सर खिलाड़ी खेल की ऊंचाइयों को छूने के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन कर जाते हैं। सीमा को अफसोस है कि बैंकॉक में हुई अंडर-18 यूथ एशियन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उसके परिवार के सदस्यों ने पैसे उधार लेकर उसे खेलने भेजा था। उसने तीन हजार मीटर की दौड़ में देश के लिए कांस्य पदक जीतकर हॉस्टल से मिले प्रशिक्षण का फल अदा किया है। अब उसका सपना देश के लिए ओलंपिक में मेडल जीतना है।

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सीमा के परिवार की स्थिति

चंबा के गांव रेटा निवासी सीमा के पिता बजीरू राम की कई साल मौत हो चुकी है। पिता के निधन के बाद बड़े भाई ने भेड़पालन का काम शुरू किया तो दो अन्य भाई राजकुमार व तेज राम घर चलाने के लिए मजदूरी करने लगे। सीमा के अलावा दो अन्य बहनें भी हैं और अब उनकी शादी हो चुकी है। परिवार की खराब स्थिति के बावजूद मां केसरी देवी ने हार नहीं मानी और सीमा के हुनर को देखते हुए उसे साई हॉस्टल धर्मशाला भेजा। बेटी के खर्च को रिश्तेदारों से उधार के पैसे लेकर पूरा किया।

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'सीमा ने कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। उसने तीन हजार मीटर की दौड़ 10.05 मिनट में पूरी की। कोरिया की धाविका ने दौड़ 10.00 मिनट में पूरी कर पहला तो दूसरे स्थान पर रही वियतनाम की धाविका ने यह लक्ष्य 10.02 मिनट में पूरा किया। सीमा की प्रतिभा को और निखार कर उसका ओलंपिक में मेडल हासिल करने का सपना साकार किया जाएगा।'

-केयर सिंह पटियाल, साई हॉस्टल के एथलेटिक्स कोच।


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