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सुविधाएं नहीं तो टैक्स भी नहीं

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : जब नगर निगम धर्मशाला में मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी तभी टैक्स देंगे। सकोह में

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Apr 2017 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 29 Apr 2017 01:00 AM (IST)
सुविधाएं नहीं तो टैक्स भी नहीं
सुविधाएं नहीं तो टैक्स भी नहीं

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : जब नगर निगम धर्मशाला में मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी तभी टैक्स देंगे। सकोह में नगर निगम की प्रॉपर्टी टैक्स से संबंधित निशानदेही के लिए टीम के पहुंचने के साथ ही यहां के बाशिंदों में विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए हैं। लोगों ने टीम को स्पष्ट किया कि अभी तक तो बिजली-पानी की सुविधा भी 24 घंटे नहीं मिल रही है।

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लोगों के अनुसार, हवा के एक झोंके से बिजली गुल हो जाती है और पानी की आपूर्ति भी मात्र 20 से 25 मिनट ही की जाती है। सीवरेज व्यवस्था सहित अन्य सुविधाएं अभी दूर की बात है। सकोहवासियों ने कहा कि यहां जो स्ट्रीट लाइट सुविधा मुहैया करवाई गई है, उसकी लाइटें भी लोगों के घरों के लैंटल में लगाई गई हैं। नगर निगम के वार्ड आठ व नौ के बाशिदों अजय नाग, रामकृष्ण, कर्म चंद, संजीव कुमार, संदीप कुमार, राकेश कुमार, किकर सिंह, राकेश कुमार, सरवण कुमार, अनिल, कमल महाजन, हंसराज, राकेश, लालचंद भारती, प्यार चंद, राकेश, निर्मला, प्रीतमा, रेशमा, इंदु, कांता देवी, मुंशी राम, संदीप, संजीव कुमार, मदन लाल, निरंजन व मदन लाल ने बताया कि एक तो भोगौलिक स्थिति ही यहां की ऐसी नहीं है कि सकोह को नगर निगम में शामिल किया जाता। उन्होंने कहा कि जब इसे नगर निगम में शामिल किया था तो स्थानीय विधायक एवं मंत्री ने यह आश्वासन दिया था कि पांच साल तक कोई भी टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन प्रॉपर्टी सर्वे करने वाली टीम अभी कैसे सकोह पहुंच गई है। बाशिंदों के अनुसार, सर्वे करनी पहुंची टीम के सदस्यों से उन्होंने पूछा तो जवाब मिला कि अगले दो माह बाद उन्हें टैक्स देना होगा और यह किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं है। क्षेत्रवासियों के अनुसार विधायक के आश्वासन के अनुसार कम से कम पांच साल तक कोई टैक्स नहीं लिया जाना है और यदि जबरदस्ती नगर निगम ने थोपा तो विरोध किया जाएगा। चाहे इसके लिए उन्हें सड़क पर ही क्यों न उतरना पड़े। उधर, नगर निगम धर्मशाला के मनोनीत पार्षद एवं सकोह के पूर्व प्रधान राजिंदर कुमार ने कहा कि जब तक मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तब तक कोई भी टैक्स नहीं लगेगा। सरकार से मांग उठाई जाएगी कि जो पंचायती क्षेत्र नगर निगम के दायरे में शामिल हैं, उनसे जब भी टैक्स लिया जाना शुरू होगा तो वह पंचायत स्तर का गृह कर ही लिया जाए।


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