शहीद के परिजनों का फूटा गुस्सा
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : शहीद संजीवन राणा के परिजनों व ग्रामीणों का गुस्सा सरकार के खिलाफ फूट पड़ा
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : शहीद संजीवन राणा के परिजनों व ग्रामीणों का गुस्सा सरकार के खिलाफ फूट पड़ा है। शुक्रवार को शहीद के परिजन व ग्रामीणों ने पंचायत प्रधान सिहुंवा के नेतृत्व में कचहरी अड्डा से डीसी ऑफिस तक रैली निकाली और जमकर नारेबाजी की। यही नहीं एडीएम के माध्यम से जिला प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा।
ज्ञापन में लिखा कि पठानकोट एयरबेस में सिहुंवा निवासी संजीवन राणा तीन जनवरी, 2016 को शहीद हो गए थे और चार जनवरी को अंतिम यात्रा में परिवहन मंत्री जीएस बाली समेत अन्य कई मंत्री व वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इस दौरान गांव के दयनीय हालत में पहुंच गए अंत्येष्टि स्थल के जीर्णोद्धार के लिए परिवहन मंत्री ने तीन लाख रुपये जारी किए, जो नगरोटा सूरियां विकास खंड की भाली पंचायत में पड़े रहे। जब एसडीएम से मांग उठाई तब जाकर एक वर्ष बाद काम शुरू हुआ तो वन विभाग ने एक मंत्री के कहने पर इसे रुकवा दिया।
यही नहीं शहीद के परिजनों को सरकारी नौकरी व शहीद के नाम पर शाहपुर कॉलेज के नामकरण की भी घोषणा हुई, लेकिन यह सभी घोषणाएं अभी तक हवा में ही हैं। हालांकि शहीद की अंतिम यात्रा में परिवहन मंत्री के अलावा सामाजिक एवं अधिकारिता मंत्री कर्नल धनी राम शांडिल, वन निगम के उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया, जवाली के विधायक नीरज भारती भी शरीक हुए उन्होंने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त की, लेकिन आज दिन तक नेताओं की घोषणाएं पूरी नहीं हो पाई हैं।
इस मौके पर शहीद संजीवन राणा की पत्नी पिंकी राणा, बेटा शुभम राणा, वार्ड सदस्य सपना देवी, सुषमा देवी, कृष्णा देवी, नरेंद्र कुमार, विक्रम ¨सह, ओंकार ¨सह, करनैल ¨सह, पंजाब ¨सह, इच्छा देवी, श्रेष्ठा देवी, काता देवी, आशा देवी, इदिरा देवी, सपना देवी, निशा देवी व प्रीतम चंद ने बताया कि राजनेता भी केवल उस समय घोषणाएं तो कर देते हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए कदम नहीं उठाते।
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मेरे पति देश के लिए शहीद हुए हैं और उनके नाम पर जब अंत्येष्टि स्थल का जीर्णोद्धार होना है, उसे ही सरकार के लोग नहीं होने दे रहे हैं, तो परिजनों को सरकारी नौकरी मिलेगी इसका कहां तक विश्वास किया जा सकता है। सवा साल हो चुका है, अभी तक कोई घोषणा पूरी नहीं हुई है।
-पिंकी राणा, शहीद संजीवन राणा की पत्नी।
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शहीद के नाम हुई घोषणाओं को कुछ कांग्रेस के नेता रोक रहे हैं, जोकि गलत है। जब भी कोई शहीद होता है, तो वह देश के लिए होता है इसलिए इस तरह का रुख अपनाना नहीं चाहिए, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। अभी केवल शांत तरीके से रोष प्रदर्शन किया गया है और जल्द घोषणाएं पूरी न हुई तो हजारों ग्रामीण सड़क पर उतरेंगे और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
-बिंदु राणा, प्रधान सिहुंवा पंचायत।
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शहीद के परिजनों व ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपा है। जहां तक बात है शाहपुर कॉलेज के शहीद के नाम पर रखने की और परिजनों को सरकारी नौकरी की तो मामला सरकार के ध्यानार्थ भेजा जाएगा। वहीं अंत्येष्टि स्थल मामले में बातचीत कर इसे सुलझाया जाएगा।
-बलबीर ठाकुर, एडीएम कांगड़ा।