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हिम्मत के ईट गारे से बनाई बुलंदी

मुनीष गारिया, धर्मशाला दिनभर गारे से ईटों को जोड़कर दूसरों का घर बनाने वाले पिता ने यह कभी सोचा भी

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 01:00 AM (IST)
हिम्मत के ईट गारे से बनाई बुलंदी
हिम्मत के ईट गारे से बनाई बुलंदी

मुनीष गारिया, धर्मशाला

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दिनभर गारे से ईटों को जोड़कर दूसरों का घर बनाने वाले पिता ने यह कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनका असामान्य बेटा विश्वभर की नजरें सम्मान के साथ उनके घर की ओर देखने के लिए मजबूर कर देगा। अब जब यह पल आया है तो पिता की खुशी का ठिकाना ही नहीं है। पिछले दो-तीन दिन से पिता केवल यह इंतजार कर रहा है कि कब उनका बेटा घर लौटे और वह उसका ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत करे।

यहां बात हो रही है कांगड़ा हलके के गांव बैदी निवासी रणजीत सिंह की। वह पेशे से मिस्त्री हैं और उनके शारीरिक रूप से अक्षम बेटे ने आस्ट्रिया में हुई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के दौरान फ्लोर हॉकी में स्वर्ण पदक हासिल कर परिवार ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन किया है। बकौल रणजीत सिंह, उनका बेटा राजेश सही तरह से बोल नहीं पाता है यानी हकलाता है, लेकिन बेटे के मन में बचपन से ही खेलों के प्रति विशेष रुचि थी। खेल के प्रति रुचि को देखते हुए बेटे को चिन्मय ग्रामीण विकास संगठन (कॉर्ड) में भेज दिया। यहां खेल प्रशिक्षक संजीव कुमार के नेतृत्व में राजेश ने फ्लोर हॉकी का प्रशिक्षण प्राप्त किया। छह मार्च को राजेश दिल्ली में हुई राष्ट्रीयस्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए घर से कॉर्ड के पदाधिकारियों के नेतृत्व में रवाना हुआ। राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी स्वर्ण पदक प्राप्त कर राजेश ने उन्हें फोन पर बताया कि वह 13 मार्च को ऑस्ट्रिया के लिए रवाना होगा, क्योंकि उसका चयन अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए हुआ है। भरे मन से रणजीत सिंह ने बताया, दो दिन पहले वह गांव में किसी के घर के निर्माण कार्य में जुटे थे कि दोपहर उन्हें कॉर्ड संस्था से फोन आया कि मुबारक हो आपकेबेटे ने ऑस्ट्रिया में भी स्वर्ण पदक जीत लिया है। यह सुनकर थोड़ी देर के लिए आंसू ही आ गए। मन कर रहा था कि काम छोड़कर पहले घर व आस-पड़ोस को यह खुशखबरी सुना लूं। उन्होंने बताया कि थोड़ी देर पहले राजेश का फोन आया था कि वह दिल्ली पहुंच गए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत कर और बधाई प्राप्त कर घर के लिए रवाना हो जाएंगे। रणजीत सिंह का कहना है कि राजेश के घर पहुंचने पर वह गांव के लोगों को धाम देंगे। वहीं राजेश के प्रशिक्षक संजीव का कहना है कि राजेश की ओर से स्वर्ण पदक जीतना देश के लिए सम्मान की बात है।


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