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सूची मनेड़ की और परिवार मैक्लोडगंज का

राकेश पठानिया, धर्मशाला दिन वीरवार, समय 12.10 बजे और स्थान धर्मशाला की मनेड़ पंचायत। बड़ी चूक

By Edited By: Published: Fri, 12 Feb 2016 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2016 01:00 AM (IST)
सूची मनेड़ की और परिवार मैक्लोडगंज का

राकेश पठानिया, धर्मशाला

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दिन वीरवार, समय 12.10 बजे और

स्थान धर्मशाला की मनेड़ पंचायत। बड़ी चूक यह कि राशन कार्ड जांच सूची मनेड़ की दर्ज और परिवार मैक्लोडगंज का। ऐसा केवल मनेड़ पंचायत ही नहीं अन्य पंचायतों में भी ऐसा ही आलम है, जहां राशन कार्ड जांच सूची खाद्य आपूर्ति विभाग ने डिजीटल राशन कार्ड के सत्यापन के लिए जारी की है।

जिन पंचायतों में राशन कार्ड जांच सूची जारी हुई है वहां अब सत्यापन कार्य अंतिम चरण में है जबकि कई पंचायतों में अब तक इस दिशा में कार्य शुरू नहीं हो पाया है, क्योंकि उन्हें राशनकार्ड जांच सूची ही उपलब्ध नहीं हो पाई। खाद्य आपूर्ति विभाग ने सत्यापन के लिए 29 फरवरी अंतिम तारीख निर्धारित की है। मनेड़ पंचायत में करीब दो बजे तक दैनिक जागरण टीम ने डिजीटल राशन कार्ड के लिए सत्यापन करवाने पहुंचने वाली महिलाओं व पुरुषों से बातचीत की तो यह भी सामने आया कि उन्हें बेशक सत्यापन कार्य के लिए तो ज्यादा दिक्कत नहीं आ रही है, लेकिन कई बार जागरूकता के अभाव में कुछ दस्तावेजों की छूट के कारण दोबारा चक्कर लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस दिशा में ग्रामीणों को पहले जागरूक किया जाना चाहिए था जबकि इससे गरीब ग्रामीणों की यह चिंता बढ़ गई है कि अब सब्सिडी बाद में आएगी। डिपो में उन्हें राशन खरीदने में भी दिक्कतें आएंगी, क्योंकि मेहनत मजदूरी कर वह अपना व परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। उन्होंने घरेलू गैस सिलेंडर का हवाला दिया कि उसमें ही छह-छह माह बाद सब्सिडी खाते में आ रही है और अब उचित मूल्य की दुकानों में राशन खरीदने के बाद क्या सब्सिडी आएगी भी या नहीं। इससे पहले दैनिक जागरण टीम ने 12.10 बजे पासू पंतेहड़ पंचायत में दस्तक दी। यहां यह सामने आया कि अभी तक राशन कार्ड जांच सूची ही पंचायत को प्राप्त नहीं हुई है तो राशन कार्ड सत्यापन कार्य कैसे शुरू हो पाएगा।

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यह कहना है ग्रामीणों का

'घरेलू गैस की ही सब्सिडी को खाते में आए छह-छह माह बीत चुके हैं। ऐसे में डिजीटल राशन कार्ड को लेकर भविष्य में क्या सब्सिडी खातों में आएगी इस पर भी संशय है। इससे सीधा बोझ जनता पर बढ़ेगा। गरीब परिवारों को तो राशन खरीदने में ही दिक्कत आएगी।'

-कल्याण चंद, मनेड़वासी

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'डिजीटल राशन कार्ड बनाना अच्छी योजना है। लेकिन सब्सिडी पहले की तरह डिपो में ही मिलनी चाहिए, क्योंकि कई गरीब परिवारों को तो राशन खरीदने में ही समस्या आएगी। कई परिवार गांवों में ऐसे हैं जो मेहनत मजदूरी कर मुश्किल से दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते हैं।'

-रमा देवी, मनेड़वासी

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'डिजीटल राशन कार्ड के लिए केवल मुखिया का ही आधार नंबर लेना चाहिए, क्योंकि कईयों के तो अब भी आधार कार्ड ही नहीं बने हैं।'

-निम्मो देवी, मनेड़वासी

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'सूची में नाम न होना भी परेशानी का सबब बन रहा है। कई दूसरे क्षेत्रों के परिवारों के नाम ही मनेड़ में आ गए हैं जबकि यहां के परिवारों के नाम भी दूसरे क्षेत्रों में गए होंगे।'

-सरिता देवी, मनेड़वासी

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'सूची में किसी भी परिवार का नाम ढूंढना सुविधाजनक है, क्योंकि सीरियल नंबर के हिसाब से परिवार दर्शाए गए हैं लेकिन मनेड पंचायत की सूची में मैक्लोडगंज का एक परिवार दर्ज है जो कि चूक है।'

-कुलदीप चंद, सचिव मनेड पंचायत।

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'राशन कार्ड जाच सूची में जरूर कुछ त्रुटि पाई गई है और कई परिवारों के नाम छूटने के साथ एक क्षेत्र के परिवारों के नाम दूसरे में चले गए हैं। जिन परिवारों के नाम सूची में नहीं हैं वह फॉर्म भरकर अपना राशन कार्ड सत्यापन करवा सकते हैं।'

-रविंद्र ठाकुर, जिला नियंत्रक खाद्य आपूर्ति विभाग।


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