अब चंबा में तैयार होगा अमेरिकी सेब
सेब राज्य हिमाचल में अब अमेरिका का सबे भी दस्तक देगा। किन्नौर व कुल्लू सेब से लबालब भरे रहने वाले हिमाचल के चंबा जिले से इस पहल को शुरू किया जा रहा है।
सुरेश ठाकुर, चंबा: चंबा में अब अमेरिका का सेब तैयार होगा। बागवानी विभाग ने सेब की तीन किस्मो के पौधे आयात किए है। इन्हे पायलट प्रोजेक्ट के तहत विभाग अपने बगीचों में तैयार करेगा। प्रोजेक्ट सफल होने के बाद पौधे बागवानों को वितरित किए जाएंगे। एडवांस वैरायटी का सेब अमेरिका में तैयार होता है। साथ ही यूरोप के अन्य देशो में भी इसकी पैदावार होती है। चंबा जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्रो के मौसम को देखते हुए इस किस्म के सेब की यहां अच्छी पैदावार होने की संभावना जताई है। बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। विदेशों में इस सेब की काफी मांग है। अब एशियन देशों में भी इस सेब की तरफ लोगों का रुझान हो रहा है। चंबा में इस सेब के तैयार होने से लोगों को उचित दाम पर सेब उपलब्ध हो जाएगा। विभाग ने शुरुआत के तौर पर अमेरिका से लाए गए पौधों को अपने की बगीचो में ट्रायल बेस पर लगाने का निर्णय लिया है।
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तीसा व पांगी भेजे जा रहे पौधे
बागवानी विभाग द्वारा अमेरिका से पौधे हिमाचल प्रदेश उद्यान विभाग विकास योजना के तहत 2666 जैरमाइन, अरली फियूजी पौधों की खेप चंबा में पहुंचा दी है। विभाग ने पौधो को तीसा व पांगी भेजना आरंभ कर दिया है। इस प्रोजेक्ट पर हिमाचल प्रदेश उद्योग विभाग करोंड़ो रुपये खर्च कर रहा है।
ये है खासियत
इटालियन एडवांस वैरायटी की खासियत है कि इसमें फल जल्दी उगते हैं। इसमें तीन साल बाद सेब तैयार हो जाता है। इसके अलावा इन पौधों में हर साल अच्छी फसल होती है। सेब की अन्य किस्मों की तरह एक साल छोड़कर फसल तैयार नही होती।
एक हेक्टेयर जमीन पर रोपे जाएंगे 2666 पौधे
अमेरिकन सेब की उत्पादक क्षमता पारंपरिक सेब से कही अधिक है। एक हेक्टेयर जमीन पर करीब 2666 तक पौधे लगा जा सकते हैं, जबकि अन्य किस्मो के 170 से 250 पौधे ही एक हेक्टेयर जमीन पर रोपे जाते हैं। एडवांस वैरायटी के सेब के पौधे नजदीक लगाए जाते हैं जो कम जगह घेरते हैं और फसल अधिक देते हैं।
बागवानी विभाग द्वारा अमेरिका से हिमाचल प्रदेश उद्यान विभाग विकास योजना के तहत 2666 सेब के पौधे आयात किए है। इन्हे विभाग ट्रायल आधार पर अपने बगीचों में लगाएगा। प्रोजेक्ट सफल होने के बाद ही बागवानों को इस वैरायटी के पौधे वितरित किए जाएंगे।-राजीव चंद्रा, एसएमएस बागवानी विभाग चंबा।