प्रधानजी अब भी गरीब
कमल ठाकुर, राख विकास खंड मैहला की ग्राम पंचायत मैहला में जिसकी लाठी उसकी भैंस का मुहाबरा सच साबित
कमल ठाकुर, राख
विकास खंड मैहला की ग्राम पंचायत मैहला में जिसकी लाठी उसकी भैंस का मुहाबरा सच साबित हो रहा है। पंचायत में प्रधान सहित तीन गृहरक्षक व कई संपन्न परिवार भी बीपीएल सूची में शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व प्रधान से लेकर पूर्व जिला परिषद सदस्य तक अभी तक बीपीएल में कुंडली मार कर बैठे हैं।
वहीं, कई ऐसे परिवार भी हैं, जिनके तीन से चार मंजिला मकान भी हैं। लेकिन इसके बावजूद उनके नाम बीपीएल सूची में शामिल हैं। अहम बात यह है कि पंचायत प्रधान को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि सादे कागज पर बीपीएल सूची से नाम कटवाने के लिए एक प्रार्थना पत्र पंचायत सचिव के माध्यम से विकास खंड कार्यालय को भेजा जा सकता है, जहां से नाम को तुरंत बीपीएल सूची से हटवाया जा सकता है।
हैरान करने वाली एक बात यह भी है कि बीपीएल सूची का बोर्ड बीपीएल परिवार में शामिल परिवारों के घरों के बाहर लगाने की प्रक्रिया को शुरू हुए करीब डेढ़ माह का समय हो चुका है। लेकिन, विकास खंड मैहला कार्यालय जो कि इसी पंचायत में स्थित है, फिर भी इक्का-दुक्का मकानों को छोड़कर बीपीएल बोर्ड नहीं लगवाए गए हैं। ऐसे में चिराग तले अंधेरे वाली कहावत यहां सच साबित हो रही है।
आइआरडीपी में शामिल होने के लिए कुछ शर्तें हैं। इन शर्तों के मुताबिक जिस परिवार की मासिक आय करीब 30 हजार तक है उसे ही बीपीएल सूची में शामिल किया जा सकता है। जबकि, पंचायत प्रधान का मानदेय 3000 रुपये प्रति माह मिलता है। ऐसे में पंचायत प्रधान की वार्षिक आय 36000 है। इससे पहले भी सरकार ने कहा था कि पंचायत प्रतिनिधि बीपीएल सूची में शामिल नहीं हो सकता है।
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ग्रामसभा में कोरम पूरा होता है तो उसमें बीपीएल सूची से अपना नाम कटवाने की सिफारिश करूंगी। महज सादे कागज पर लिखकर देने से नाम कटवाया जा सकता है, मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
-नारो देवी, पंचायत प्रधान मैहला।
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ग्राम पंचायत मैहला की प्रधान बीपीएल सूची में शामिल हैं, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। यदि ऐसा है तो इस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा मैं गरीब हूं का बोर्ड लगाने की प्रक्रिया भी तेजी से शुरू हो, इसके भी निर्देश दिए जाएंगे।
-सलीम आजम खान, विकास खंड अधिकारी, मैहला।