शौचालय कागजों में पूरे, घरों में अधूरे
जागरण संवाददाता, चंबा : जिला मुख्यालय में स्वच्छ भारत मिशन दम तोड़ रहा है। स्वच्छता मिशन को जमीनी
जागरण संवाददाता, चंबा : जिला मुख्यालय में स्वच्छ भारत मिशन दम तोड़ रहा है। स्वच्छता मिशन को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए न तो लोग आगे आ रहे हैं और न ही प्रशासन प्रधानमंत्री के स्वच्छ मिशन को पंख लगा पा रहा रहा है। शहर के हर वार्ड में कूड़े के ढेर नजर आ रहे हैं और हर जगह सफाई व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है।
स्वच्छ भारत मिशन योजना गांव में सच्चाई से कोसों दूर है। आज भी खुले में शौच करने वालों की संख्या ज्यादा है। हालात यह हैं कि गांव में कागज पर जो दिखता है, वो धरातल पर कम ही दिखता है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि गांव में योजना हकीकत से काफी दूर है। चंबा जिला में कहीं गड्ढे खोदकर तो कहीं बिना सीट के ढक्कन रख खानापूर्ति कर दी गई है। कई योजनाओं से बने करीब 35 फीसद निर्माणाधीन शौचालय बंद पड़े हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि निर्मल ग्राम बनाने की योजना कितनी कारगर साबित हो रही है। शौचालय तो बने हैं लेकिन बहुत ही कम लोग उपयोग में लाते हैं।
स्वच्छ भारत मिशन की मुहिम शहर में मात्र रैलियों तक ही सीमित रह गई है और मिशन का असर जमीनी स्तर पर नाममात्र ही देखने को मिल रहा है।
शहर में नगर परिषद की ओर से स्थापित किए गए कंटेनर लोगों का मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं। कंटेनर के बाहर कूड़े के अंबार लगे हुए हैं। तकरीबन यही हाल राजीव गांधी मार्केट कांप्लेक्स के पास लगे कंटेनर का है। इस मार्ग पर समस्त प्रशासनिक अधिकारियों का आना-जाना रहता है। कूड़े के ढेर से साफ जाहिर हो रहा है, कि साफ सफाई की कोई जहमत नहीं उठा रहा है और शहर की सफाई किसी के लिए मायने नहीं रखती है।
हैरानी की बात यह है कि शहर में प्रतिबंधित पॉलीथीन के काफी सारे ढेर लगे हुए हैं। सरकार ने प्रदेश ने पॉलीथीन के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन इसके बावजूद शहर में पॉलीथीन के ढेर देखने को मिल रहे हैं।
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स्वच्छता का सपना कागजों में सिमटा
ग्रामीण सुनील कुमार अमर ¨सह, अजय कुमार, नरेश कुमार, पवन, राकेश, अनुज, विपन कुमार, तिलक राजपूत व अन्य कहना है कि स्वच्छ भारत मिशन योजना के लिए हर वर्ष नेताओं व अधिकारियों की ओर से अभियान चलाया जाता है। जिस पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। स्वच्छता के लिए लोगों को जागरूकता करने को रथ भ्रमण करता है और नुक्कड़ सभाएं होती हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और दिखता है। शौचालय के नाम पर केवल फोटो ¨खचाने का काम होता है। लोग कहते हैं कि पैसा मिलेगा तो ही शौचालय बनेगा, लेकिन सरकारी नियम है कि पहले शौचालय का फोटो लाओ, उसके बाद पैसा मिलेगा। शौचालय बने या न बने लेकिन कागजों पर शौचालय का सपना जरूर बुना जा रहा है।
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चंबा शहर की सफाई का जिम्मा ठेकेदार को दिया गया है। शहर को सुंदर व स्वच्छ बनाने के लिए नगर परिषद की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है। लेकिन स्वच्छता अभियान में लोगों की सहभागिता न होने के कारण अभियान को पूरी तरह से अमलीजामा नहीं पहना पा रहे हैं।
-नीलम नैयर, अध्यक्ष नगर परिषद चंबा।