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मुश्किल डगर, असुरक्षित सफर

सुरेश ठाकुर, चंबा जिला चंबा के करीब दस संवेदनशील स्थान बरसात में व्यवस्था पर हावी हो जाते हैं।

By Edited By: Published: Sat, 02 Jul 2016 01:01 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2016 01:01 AM (IST)
मुश्किल डगर, असुरक्षित सफर

सुरेश ठाकुर, चंबा

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जिला चंबा के करीब दस संवेदनशील स्थान बरसात में व्यवस्था पर हावी हो जाते हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय ¨मजर मेले और विश्वविख्यात मणिमहेश यात्रा में भी लोगों का कड़ा इम्तिहान लेते हैं।

लेकिन वर्षो से चली आ रही समस्या का स्थायी हल नहीं निकल पाया है। भारी बारिश के दिनों में उक्त मार्ग ठप रहने से जनता को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। सरकारी कामकाज निपटाने को लेकर व कॉलेज विद्यार्थियों, कर्मचारी वर्ग, बुजुर्गो को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

स्थिति तब ज्यादा विकट दिखती है, जब अंतरराष्ट्रीय ¨मजर मेला, मणिमहेश यात्रा के दौरान ठप मार्ग पर रात के समय में वाहनों की लंबी कतारों में श्रद्धालु मार्ग खुलने तक कैद होकर रह जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ कई किलोमीटर लंबा रास्ता तय कर लोगों को आवाजाही करनी पड़ती है।

हैरत की बात यह है कि विभाग की ओर से संवेदनशील स्थान चिह्नित किए गए हैं, उन्हें दुरुस्त करने के बावत कई बार जिला प्रशासन, संबंधित विभाग व सरकार से गुहार लगाने के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है। इस कारण लोगों ने विभाग व सरकार की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।

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कर्मचारियों की छुट्टियां रद

लोक निर्माण विभाग ने बरसात के मौसम में सभी कर्मचारियों व अधिकारियों की छुटटियां रद कर दी हैं। संवेदनशील स्थानों पर कर्मचारियों के साथ सरकारी व निजी मशीनरी को तैनात कर दिया है, ताकि भूस्खलन होने पर सड़क को तुरंत बहाल किया जा सके।

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प्रशासन की ओर से सड़कों को दुरुस्त करने के बावत लोक निर्माण विभाग को आदेश जारी कर दिए गए हैं, ताकि बरसात में भूस्खलन होने पर यातायात ठप न पड़े। प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है।

सुदेश कुमार मोख्टा, उपायुक्त चंबा।

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बरसात के मौसम में सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को सर्तक रहने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही सभी नालियों को साफ किया गया है। प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए चंबा जिला में लोक निर्माण विभाग पूरी तरह से तैयार है।

-बीएस बरवाल, अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग, चंबा।

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यह हैं संवेदनशील

भटियात क्षेत्र में कालीघार सहित शुक्राली, राठ, नकरोड़, कठवाड, बालू, लुडेरा, लोथल, गतीधार, चांजू घार अति संवेदनशील हैं। यहां बरसात के मौसम में भारी भूस्खलन होने के कारण घंटों जाम लग जाता है।


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