चंबा में अदद आशियाना ढूंढ़ना हुआ मुश्किल
संवाद सहयोगी, चंबा : एक ओर महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है, वहीं जिला मुख्यालय चंबा में बेलगाम कि
संवाद सहयोगी, चंबा : एक ओर महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है, वहीं जिला मुख्यालय चंबा में बेलगाम किराये ने किरायेदारों के लिए आफत पैदा कर दी है। चंबा में मनमर्जी के किराये के साथ आए दिन इसमें और वृद्धि से स्कूल, कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी तथा कर्मचारी वर्ग की जेब पर बोझ बढ़ गया है। कानून व नियम को भी दरकिनार कर अवैध व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है। वहीं जिस परिवार को दो कमरों की जरूरत है वह एक ही कमरे में जैसे-तैसे गुजारा कर रहा है। छात्र व मजदूर भी असुविधाओं के साथ एक कमरे में दो से तीन की संख्या में रह रहे हैं।
शहर में किरायेदारों से हजारों रुपये वसूले जा रहे हैं, लेकिन इसका ब्योरा न तो आयकर विभाग के पास है और न ही प्रशासन को इसकी खबर है। चंबा शहर में सैकड़ों मकानों में हजारों किरायेदार बसे हैं। एक कमरे का किराया 1500 रुपये से शुरू होकर तीन हजार तक है। वहीं दो कमरों के सेट का किराया दो हजार से पांच हजार रुपये तक है। बिजली व पानी का बिल अलग से लिया जाता है। जिला मुख्यालय में 40 प्रतिशत छात्र वर्ग बाहरी क्षेत्रों से आकर बसे हैं और 50 प्रतिशत कर्मचारी वर्ग दूसरे राज्यों व जिला के आसपास से रह रहा है। इसके अतिरिक्त 30 प्रतिशत से अधिक दूसरे राज्यों के मजदूर भी किराये के मकानों में रह रहे हैं।
चंबा में किराये पर मकान देना अब कारोबार बन गया है। लोग मनमाने दाम पर कमरे किराये पर चढ़ा रहे हैं। कई लोग तो दो-तीन मंजिला मकान को किराये पर देकर स्वयं बाहरी क्षेत्रों में किराये के घरों में रह रहे हैं। किरायेदारों की मानें तो मकान मालिक आए दिन किराया न बढ़ाने की सूरत में मकानों को खाली करने का आदेश दे देते हैं।
पुलिस प्रशासन ने किरायेदारों के पंजीकरण के आदेश दिए हैं, लेकिन मकान मालिक इनकी परवाह न कर किरायेदारों को कोई लिखित अवधि या तय किराये की रसीद भी नहीं देते। वह मर्जी से मकान का किराया बढ़ा देते हैं। ऐसे में लोगों को मजबूर होकर बढ़ी राशि अदा करनी पड़ती है या अन्य मकान की तलाश में भटकना पड़ता है। भवन मालिक मोटा किराया तो वसूल रहे हैं, परंतु हाउस टैक्स समय पर परिषद को न देने से नगर परिषद को भी चपत लग रही है।
11 माह से तीन साल तक की अवधि का होता है समझौता
सरकार के बनाए नियम के तहत किरायेदारों के लिए वन रेंट एक्ट के तहत 11 माह से तीन वर्ष तक की अवधि का समझौता पत्र बनाया जाता है। अवधि के अंत में मकान मालिक अपनी इच्छा से दस प्रतिशत किराया बढ़ा सकता है। चंबा शहर में न तो किरायेदारों का ब्योरा है और न ही निश्चित किराया है। आयकर अधिकारी विशाल गौरला ने बताया कि मकान के किराये से होने वाली आमदनी वार्षिक आय में दिखानी जरूरी होती है।
'किरायेदारों से वन रेंट एक्ट के तहत 11 माह से तीन वर्ष तक की अवधि का समझौता पत्र लेने के साथ सभी किरायेदारों का पंजीकरण करने के निर्देश जारी किए जाएंगे। अगर कोई मकान मालिक मनमाना किराया वसूलता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।'
एम सुधा देवी, उपायुक्त, चंबा।