सावधान..अब महंगी बिजली मारेगी करंट
जागरण संवाददाता, चंबा : आने वाले दिनों में महंगी बिजली लोगों को करंट मार सकती है। बिजली बोर्ड ने सित
जागरण संवाददाता, चंबा : आने वाले दिनों में महंगी बिजली लोगों को करंट मार सकती है। बिजली बोर्ड ने सितंबर में लागू हुई नई दरों के हिसाब से शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है। बिजली की दरें बढ़ीं तो सितंबर में हैं लेकिन बोर्ड इनकी वसूली अप्रैल से करेगा यानि सितंबर से पहले जो बिल कम दरों से चुकाए गए हैं उनका भी भुगतान अब एक साथ करना पड़ सकता है। बिजली बोर्ड ने सब्सिडी की निर्धारित दर में 50 यूनिट की भारी बढ़ोत्तरी कर दी है यानि पहले 126 से 250 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं को चार रुपये 40 पैसे की दर से बिजली सप्लाई की जाती थी और उसमें बोर्ड एक रुपये 70 पैसे की सब्सिडी देता था। लेकिन अब यह दर बढ़ाकर 300 यूनिट हो गई है और तीन सौ यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ता को दो रुपये 70 पैसे के हिसाब से ही भुगतान करना होगा, जबकि तीन सौ से अधिक यूनिट की खपत होने पर बोर्ड ने चार रुपये 70 पैसे की दर निर्धारित की है। इसमें से 75 पैसे की सब्सिडी निर्धारित की गई है यानि तीन रुपये 95 पैसे में अब बिजली सप्लाई होगी। इसके साथ ही बिजली बोर्ड ने उन उपभोक्ताओं को भी कड़ी हिदायत जारी की है जो निर्धारित मानकों से अधिक बिजली खर्च कर रहे हैं।
बोर्ड ने चेतावनी दी है कि कम मानकों के मीटर लगाने और बिजली की ज्यादा खपत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे उपभोक्ताओं के कनेक्शन भी काट दिए जाएंगे। बोर्ड ने बिजली की सितंबर से जारी हुई नई दरों में मामूली सी बढ़ोत्तरी की है लेकिन इसका असर एक साथ देखने को मिलेगा। उपभोक्ताओं को करीब छह माह से हो रहे बिजली खर्च के साथ बढ़ी हुई दरों का भुगतान करना होगा। इनमें से कुछ उपभोक्ताओं को बढ़ी हुई कीमतों के साथ बिल सितंबर में ही आ गए हैं, जबकि कुछ को अक्टूबर के मध्य में बिजली बोर्ड बिल उपलब्ध करवाएगा।
बढ़ी हुई दरों से होगी वसूली : एसडीओ
विद्युत विभाग के सहायक अभियंता पवन शर्मा का कहना है कि बिजली बोर्ड अब बढ़ी हुई दरों के साथ ही बिल की वसूली करेगा। इसके लिए अभियान छेड़ दिया है। कुछ उपभोक्ताओं को बिल बढ़ी हुई दरों के साथ आ सकते हैं। यह दरें बोर्ड ने अप्रैल से बढ़ाई हैं लेकिन लागू सितंबर में हुई हैं।
क्यों लगे छह माह
बिजली बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी बिजली की दरों को बढ़ाने पर अप्रैल से माथा पच्ची कर रहे थे। लेकिन यह दर किस हिसाब से बढ़ाई जाएगी और इसके मानक क्या होंगे इस पर बहस लंबी चलती गई। इसके बाद बोर्ड ने इस संबंध में सितंबर में निर्णय लिया है और दरें अप्रैल से बढ़कर आई हैं।