शिव चेलों व ज्योतिष समाज में विरोधाभास
संवाद सूत्र, भरमौर : मणिमहेश यात्रा के अंतिम चरण में मणिमहेश डल झील पर राधाष्टमी को होने वाले पवित्र स्नान के लिए भरमौर स्थित चौरासी परिसर में स्थित शिवजी के मुख्य मंदिर के चेलों द्वारा सोमवार को विधिवत रूप से मणिमहेश डल झील को लांघ कर शाही स्नान के शुरू होने की प्रक्रिया को अमलीजामा पहना दिया है। जबकि दूसरी ओर ज्योतिष पर विश्वास रखने वाले श्रद्धालुओं ने मंगलवार तक स्नान टाल दिया है। क्योंकि उनका मानना है कि ज्योतिष के अनुसार राधाष्टमी की तिथि मंगलवार सुबह चार बजे शुरू होने वाली है। ऐसे में इस शाही स्नान के संबंध श्रद्धालुओं में काफी विरोधाभास दिखने को मिला।
जानकारी के अनुसार, सोमवार को घोषणा के तहत शिव चेलों ने मणिमहेश डल झील को लांघ लिया। जिसके चलते भद्रवाह से आए शिव अनुयायियों ने भी शिव चेलों की घोषणा को प्राथमिकता देते हुए एक सितंबर को ही इस पवित्र झील में डुबकी लगा ली। जबकि कई लोग अभी भी मंगलवार के दिन को शाही स्नान के लिए उत्तम समय बता रहे हैं। इस संबंध में भरमौर क्षेत्र के प्रसिद्ध पंडित ईश्वर दत्त का कहना है कि भारतीय ज्योतिष यह कहता है कि राधाष्टमी की तिथि मंगलवार को सुबह पंाच बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी। जोकि बुधवार सुबह चार बजकर 23 मिनट तक चलेगी। जबकि इसी समय भद्रा भी शुरू होती है। लेकिन भद्रा वृश्चिक राशि में होने व इसका वास स्वर्ग में होने के चलते इस तिथि में मणिमहेश डल झील में स्नान किया जाए, तभी श्रद्धालुओं को इसका उत्तम फल प्राप्त हो सकता है। ऐसे में भारतीय ज्योतिष पर विश्वास रखने वाले श्रद्धालु अभी भी मंगलवार तक शाही स्नान में भाग लेने के लिए मणिमहेश डल झील व इसके आसपास के क्षेत्रों में डेरा जमाए बैठे हैं।
गौरतलब है कि गत वर्ष भी शिव चेलों व ज्योतिष्यिों द्वारा शाही स्नान के संबंध में अलग-अलग तिथियां घोषित करने की सूरत में श्रद्धालुओं को भ्रमित होना पड़ा था। जबकि इस बार भी अनचाहे में ही सही पर यह स्थिति पनप चुकी है। क्योंकि शिव चेलों ने मणिमहेश डल झील में स्नान का समय एक सिंतबर सोमवार एक बजकर चार मिनट से लेकर दोपहर के दो बजकर छह मिनट तक राधाष्टमी की तिथि बताई है। वहीं स्थानीय ज्योतिषी दो सितंबर मंगलवार सुबह पांच बजकर 12 मिनट से लेकर बुधवार सुबह चार बजकर 23 मिनट तक राधाष्टमी की तिथि बता रहे हैं।