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'बण-ठण चली' पर झूम उठा चंबा

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 01:13 AM (IST)Updated: Thu, 31 Jul 2014 01:13 AM (IST)
'बण-ठण चली' पर झूम उठा चंबा

संवाद सहयोगी, चंबा : मिंजर मेले की चौथी सांस्कृतिक संध्या हिमाचल के कुलदीप शर्मा के नाम रही। इस दौरान जहां दर्शकों ने खूब मनोरंजन किया। वहीं पहले की तीन संध्याओं के बेकार जाने का एहसास भी दूर हो गया। मिंजर मेले की सांस्कृतिक संध्या में अपने सुरों का जादू बिखेरते हुए कुलदीप शर्मा ने शुरूआत सद्गुरु वंदना व माता की भेंट के साथ की। जिसके बाद कुलदीप शर्मा ने एक के बाद एक धमाकेदार प्रस्तुति देते हुए सभी दशकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। जिसके लिए उन्होंने ढोलो रा धमाका, मेरी मोनिका, कांटा चुभ गया, बण-ठण चली व कुल्लु-मनाली लगा मेला जैसे बहुचर्चित स्वयं निर्मित गाने गाए।

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इस धमाकेदार प्रस्तुति से पहले कांगड़ा के हास्य कलाकार पंकज डोगरा की प्रस्तुति बेहतर रही। जिसमें उन्होंने बच्चों की निश्चलता, महिलाओं के मेकअप और हास्यपूर्ण गानों के माध्यम से इस संध्या को रंगीन बनाने का काम किया। जिसका पंडाल में मौजूद लोगों ने काफी लुत्फ उठाया। जबकि सांस्कृतिक संध्या को अपने पूरे जोर पर लाने के लिए शाम के लगभग आठ बजे से पहले एनजेडसीसी पटियाला, कुलदीप सिंह ओहली कूंजड़ी मल्हार, सनातन धर्म नाटक मंच चंबा, राजा पदम सिंह मेमोरियल शिमला, लोक गायक एमआर भाटिया, अनुज जगदानी जुलाखड़ी, शांति हैंटा व अवतार एंड पार्टी द्वारा प्रस्तुत की गई स्थानीय संस्कृति से संबंधित अदायगी ने लोगों का मन मोह लिया। वहीं शाम पांच बजे से पहले हुए कार्यक्रमों में दोपहर के दो बजे सरस्वती सांस्कृतिक दल ध्राठो ने चंबा में शिव पूजा के दौरान गाए जाने वाली एचडी द्वारा शिव महिमा का गुणगान किया। जिसके पश्चात चंबा के स्थानीय गायक अरुण ने यार बै गया नैणा दे गूहा ते आके, तू माने या न माने दिलदारा जैसे गानों के माध्यम से मिंजर मेला देखने आए लोगों की वाहवाही लूटी।

वहीं मेले की शोभा कहे जाने वाले इस कार्यक्रम को संध्या तक पहुंचाने के लिए चंबा के उभरते गायक कजो नैण मिलांदा, भेड़ा तेरियां हो, आया ता जिंदे बंजारा गाने गाकर दर्शकों की तालियां बटोरी। इसके पश्चात गुज्जर सांस्कृतिक दल संगेरा ने गुज्जर नृत्य व मनीष भारद्वाज ने पहाड़ी नाटियां के माध्यम से इस मेले के मंच की रौनक में चार चांद लगाए। वहीं गुरु रविदास सांस्कृतिक दल पलूही ने बोल रे राम, मेरे घुमे चारखटुआ व चांबे मिंजरा लगौरी तां भाइया जैसे गानों पर सामूहिक नृत्य पेश करके मिंजर मेले की शोभा बढ़ाई।


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