सर्वेक्षण की राह में दलदल बना रोड़ा
जागरण संवाददाता, बिलासपुर : भाखड़ा बांध की रेजरवायर गो¨बदसागर में जलमग्न मंदिरों को स्थानांतरित करने
जागरण संवाददाता, बिलासपुर : भाखड़ा बांध की रेजरवायर गो¨बदसागर में जलमग्न मंदिरों को स्थानांतरित करने के लिए दिल्ली से पहुंचने वाली भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम दलदल की वजह से बिलासपुर नहीं पहुंच पाई है। भाषा एवं संस्कृति विभाग ने मंदिरों के आसपास अभी दलदल होने का हवाला दिया है। लिहाजा टीम अब जलमग्न मंदिरों के सर्वेक्षण के लिए अगले माह बिलासपुर पहुंचेगी।
साठ के दशक में अस्तित्व में आए भाखड़ा बांध के कारण पुराना बिलासपुर शहर जलमग्न हो गया था। ऐतिहासिक व धाíमक दृष्टि से महत्वपूर्ण व स्थानीय लोगों की आस्था के केंद्र भव्य मंदिर भी पानी में डूब चुके हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में जलस्तर कम होने की वजह से मंदिर बाहर निकल आते हैं। गाद व मिट्टी की वजह से हालांकि कई मंदिर पूरी तरह दब चुके हैं लेकिन कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जो अभी गाद व मलबे से पूरी तरह नहीं दब पाए हैं। रेजरवायर में करीब 31 मंदिर जलमग्न हुए थे जिसमें से एक मंदिर तो उस समय स्थानांतरित कर नए बिलासपुर शहर में स्थापित कर दिया था। शेष मंदिर स्थानांतरित होने की अभी तक राह ताक रहे हैं। भाषा एवं संस्कृति विभाग ने इन ऐतिहासिक मंदिरों को स्थानांतरित करने की योजना करीब 10 वर्ष पहले बनाई थी, लेकिन अभी तक मंदिरों के सर्वे का कार्य चला हुआ है। जिला प्रशासन ने बिलासपुर शहर के साथ हनुमान टिल्ला के पास इन मंदिरों को स्थानांतरित करने के लिए जमीन का चयन कर लिया है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद जलमग्न मंदिरों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का कार्य शुरू होगा। हालांकि इससे पहले भी पुरातत्व विभाग की टीम ने इन मंदिरों का सर्वेक्षण करने के साथ ही जिला प्रशासन द्वारा जबली में चयनित जमीन का सर्वे किया था तथा विभागीय टीम ने जिला प्रशासन द्वारा चयनित जमीन को यह कहकर खारिज कर दिया था कि संबंधित जमीन के ऊपर से बिजली की हाई-वोल्टेज तारें गुजर रही हैं। गो¨बदसागर झील में जलमग्न हुए करीब 11 मंदिरों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की योजना है।
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उपायुक्त बिलासपुर के निर्देशानुसार विभाग ने पुरातत्व विभाग को अप्रैल में इन मंदिरों तथा चयनित जमीन का सर्वे करने के लिए पत्र लिखा है। पुरातत्व विभाग की टीम द्वारा चयनित जमीन को स्वीकृति प्रदान करने के बाद मंदिरों को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अप्रैल में टीम के पहुंचने की उम्मीद है।
-नीलम चंदेल, जिला भाषा अधिकारी।