सरहदें तो इंसानियत की, पाक हदें होती हैं..
संवाद सहयोगी, बिलासपुर : भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर ने रविवार को मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आ
संवाद सहयोगी, बिलासपुर : भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर ने रविवार को मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन संस्कृति भवन में किया। इसमें सेवानिवृत्त कमांडेंट सुरेंद्र शर्मा ने विशेष रूप से शिरकत की। रामलाल पाठक ने बतौर मुख्यातिथि शिकरत की। वहीं साहित्यकार रत्नचंद निर्झर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस दौरान र¨वद्र भट्टा द्वारा मंच संचालन किया गया। संगोष्ठी में दिवंगत साहित्यकार रामदयाल नीरज, डॉ. महीप ¨सह, कलाकार बृज लाल भारद्वाज को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अíपत की गई।
जीतराम सुमन ने मां सरस्वती की वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की। लशकरी राम ने भजन सुनाया। साहित्यकार कुलदीप चंदेल ने गंगी और टप्पों में लोक संस्कृति के रंग विषय पर शोध पत्र, हुसैन अली ने विस्थापन का दर्द, प्रदीप गुप्ता ने अध्यापक की शादी रचना, बीना बर्धन ने घा बढ़दिया हत्था कंडा चुभया, नरैणु राम हितैषी ने सरकारी अस्पताल रचना, विपिन चंदेल ने सारे जहां की धड़कन बसी है, जीत राम सुमन द्वारा छडना नी हौसला पहाड़ी रचना, रूप शर्मा ने जिला कुल्लू के कोटला गांव में हुये अग्निकांड के दर्द को बयां किया। अरुण डोगरा ने गरीबी पर व्यंग्य, सुरेंद्र मिन्हास ने नये साल के संकल्प कविता, जय नारायण कश्यप ने याद नहीं उम्रदराज, प्रेम टेसू ने सरहदें तो इंसानियत की, पाक हदें होती हैं, एसआर आजाद ने रचना, कौशल्या ने कविता, रविंद्र भट्टा ने कविता, सोनू देवी ने पंजाबी रचना, संदेश शर्मा ने कविता, अनीता शर्मा ने कविता, सुरेंद्र शर्मा ने इंसान बना हैवान, रत्न चन्द निर्झर ने कविता, रामलाल पाठक ने कविता, इंद्रेश शर्मा ने रचना सुनाई। इस मौके पर हाल ही में रिलीज हुई फिल्म तमाशा में अभिनय कर चुके अभिषेक डोगरा को पुरस्कृत किया गया। इस मौके पर परमदेव शर्मा, इंद्र ¨सह चंदेल, पवन कुमार, रवि कांत शर्मा, प्यारी देवी, अंशुल गर्ग मौजूद थे।