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पेयजल व सिंचाई संकट दूर होने में लगेगा समय

By Edited By: Published: Wed, 23 Jul 2014 05:42 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jul 2014 05:42 PM (IST)
पेयजल व सिंचाई संकट दूर होने में लगेगा समय

जनकराज शर्मा, भराड़ी

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घुमारवीं हलके के लोगों को पेयजल व सिंचाई के बड़े संकट को दूर करने के लिए व्यास नदी से पानी उठाकर घुमारवीं हलके में पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना का निर्माण शुरू होने में अभी तक और वक्त लगेगा। कारण यह है कि आइपीएच महकमे की ओर से इस योजना का निर्माण पूरा करवाने के लिए जरूरी पैसे का जुगाड़ करने के लिए कई वित्तीय संस्थाओं के सहारे आगे बढ़ रहा है। इसी प्रयास में आइपीएच महकमे का ज्यादा वक्त खपत हो रहा है। अब तक केंद्र सरकार की ओर से पहले दौर में करीब पच्चीस करोड़ रुपये की एक स्वीकृति इस परियोजना के लिए मिल चुकी है।

एसडीओ आइपीएच घुमारवीं देवराज चौहान ने बताया कि यह योजना पूरे घुमारवीं विस हलके के लिए वरदान साबित होगी। लोगों सिंचाई व पेयजल दोनों तरह की दिक्कतों का अगले कई वर्षो के लिए स्थाई समाधान हो सकेगा। घुमारवीं विस हलके में अब तक काफी ज्यादा गांव ऐसे हैं जहां पर पीने का पानी तो है लेकिन सिंचाई के साधन नहीं है, क्योंकि इतनी मात्रा में पानी नहीं है कि पूरे हलके में सिंचाई के साधनों को विकसित किया जा सके। उन्होंने बताया कि घुमारवीं हलके के विधायक राजेश धर्माणी ने पिछले वर्ष विधायक प्राथमिकता में घुमारवीं हलके में सिंचाई व पेयजल संकट को दूर करने के लिए करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना तैयार करने के लिए विभाग को निर्देश दिए थे। महकमे ने कुछ ही महीनों के भीतर इस परियोजना की डीपीआर तैयार करके चीफ इंजीनियर के ऑफिस में भेजी। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद सबसे पहले विभाग ने इस डीपीआर को केंद्र सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण जल विकास मिशन के तहत वित्तीय स्वीकृति के लिए भेजा था। वहां से कुछ दिन पहले ही करीब पच्चीस करोड़ रुपये की मंजूरी मिल गई है। यह स्वीकृति सिर्फ इस परियोजना के लगभग एक चौथाई हिस्से के लिए हुई है जबकि अभी तक लगभग अस्सी फीसद वित्तीय स्वीकृति होना बाकी है। इस परियोजना की फिलहाल एक सौ चौंतीस करोड़ रुपये की डीपीआर बनाई गई है। आने वाले समय में यह बढ़कर डेढ़ सौ करोड़ तक जा सकती है। विभाग ने अब इस परियोजना में बाकी वित्तीय स्वीकृति के लिए जायका संस्थान व नाबार्ड को भी डीपीआर भेजी है। विभाग को उम्मीद है कि ग्रामीण विकास के लिए पैसा स्वीकृत करने वाले इन दोनों संस्थानों से शेष अस्सी फीसद वित्तीय स्वीकृति पूरी हो सकेगी। इसके बाद ही जाकर इस परियोजना पर काम पूरा हो सकेगा।


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