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डिपुओं में कर दी घटिया आटे की सप्लाई

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 01:01 AM (IST)
डिपुओं में कर दी घटिया आटे की सप्लाई

राजेश्वर ठाकुर, बिलासपुर

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सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत हजारों उपभोक्ताओं को बिलासपुर स्थित औद्योगिक क्षेत्र की एक फर्म ने सैकड़ों क्विंटल घटिया आटा सप्लाई कर दिया। मामले का खुलासा तब हुआ जब खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से की गई सैंपलिंग की रिपोर्ट आई। इससे स्पष्ट हुआ है कि उक्त फर्म ने मिलावटी व घटिया स्तर का आटा सप्लाई किया। हैरानी की बात यह है कि विभाग ने इस मामले में फर्म पर कोई ठोस दंडात्मक कार्रवाई करने की बजाय उसे आटा पिसाई की अगली अलॉटमेंट भी कर दी। इस माह भी फर्म को सैकड़ों क्विंटल गेहूं से आटा पीसने का आर्डर दे दिया गया है।

वहीं जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक के अधिकारी भी मान रहे हैं कि निदेशालय के स्तर पर हर जिले में एपीएल के अलावा पीडीएस से जुड़ी हुई उपभोक्ताओं की श्रेणियों को आटा सप्लाई करने के लिए गेहूं की अलॉटमेंट की जाती है। जिले में गेहूं को आटे में तब्दील करने के लिए हर माह औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित एक फर्म को दिया जाता रहा है। करीब तीन माह पहले भी इसी फर्म को 1500 से क्विंटल से ज्यादा गेहूं पीसकर आटा बनाकर देने के लिए दिया था। इस आटे की सप्लाई जिले भर में हजारों उपभोक्ताओं को होनी थी। विभाग में यह प्रावधान है कि गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उन तमाम फर्र्मो से आटे के सैंपल लिए जाते हैं, जो इस काम में लगी हुई हैं। उक्त फर्म के इस आटे के भी सैंपल लिए गए थे। सैंपल की रिपोर्ट आने से पहले ही विभाग ने यह आटा जिले में बीच में बांट दिया। बाद में पता चला कि यह आटा तय गुणवत्ता के मानकों पर खरा नहीं उतर रहा था।

अब सवाल यह है कि जब गेहूं विभाग ने बढि़या किस्म की दी तो फिर फर्म ने घटिया आटा सप्लाई क्यों किया। उपभोक्ताओं से धोखा किया गया तो विभाग ने उक्त फर्म पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की। बावजूद इसके विभाग ने फिर से इसी फर्म को 1700 क्विंटल गेहूं पिसाई के लिए थमा दिया है।

घटिया थी आटे की सप्लाई : प्रताप

जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक प्रताप चौहान ने माना है कि इस फर्म का आटा घटिया दर्जे का रहा था, लेकिन आटे की सैंपल रिपोर्ट बाद में आई। फर्म पर निदेशालय के स्तर पर पैनल्टी का प्रावधान है, लेकिन अब तक ऐसी कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि व्यवहारिक कठिनाई है कि सैंपल की रिपोर्ट देरी से आती है। उन्होंने माना कि फर्म के इस कारनामे को नजरअंदाज कर फिर से विभाग ने उसे आर्डर दे दिया है।


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