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भाजपा ने दी हवा, कांग्रेस ने साधी चुप्पी

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 01:01 AM (IST)
भाजपा ने दी हवा, कांग्रेस ने साधी चुप्पी

सुरेंद्र जमवाल/विनोद चंदेल, घुमारवीं

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नगर नियोजन (टीसीपी) में जिले के दो महत्वपूर्ण कस्बों घुमारवीं व नयनादेवी को शामिल किए जाने के सरकार के फैसले पर भी सियासत शुरू हो गई है। लोकसभा चुनाव में भी दोनों ही इलाकों में भाजपा ने इस सियासी मुद्दे को हवा दे दी है। भाजपा नेताओं ने दोनों कस्बों को टीसीपी में शामिल किए जाने का विरोध किया है और इसे इस लोकसभा चुनाव में मुद्दे के रूप में भी उछाल दिया है। कांग्रेस ने इस पूरे मामले में चुप्पी साध ली है।

टीसीपी के विरोध पर एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि तेजी से उभरते हुए दोनों कस्बों को नियोजित तरीके से बसाने के फैसले का भाजपा क्यों विरोध कर रही है। दूसरा यह कि टीसीपी को लागू करने की प्रक्रिया एक वर्ष में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही नहीं चली बल्कि भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में यह प्रक्रिया जारी रही थी। तो इस प्रक्रिया को रोकने का काम भाजपा नेताओं ने उस समय प्रयास क्यों नहीं किया? इधर, नगर नियोजन विभाग ने सरकार के फैसले पर आगे बढ़ते हुए जल्द ही घुमारवीं व नयनादेवी दोनों ही इलाकों में एग्जिसटिंग लैंड यूज तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

आचार संहिता खत्म होते ही दोनों कस्बों में इस काम को अंजाम देने के लिए विभाग की ओर से टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। विभागीय सूत्रों ने बताया कि किसी भी नगर के नियोजित तरीके से बसने से यहां रहने वाले लोगों को ही फायदा होता है। नगर नियोजन के लाभ के बिंदुओं को जनता को जनप्रतिनिधियों को ही समझाना चाहिए न कि जनता के बीच नगर नियोजन के मुद्दे पर हौब्बा पैदा करना चाहिए।

महकमे के एक अधिकारी ने बताया कि नगर नियोजन ऐसा होता है कि योजना से बसे हुए शहर में लोगों को सभी सुविधाएं मुहैया करवाई जाती हैं। इमरजेंसी में बचाव में कार्यो में कोई बाधा नहीं आती है। बिलासपुर जिले में सियासी मुद्दे के रूप में उछले नयनादेवी व घुमारवीं की कुछ पंचायतों को टीसीपी में शामिल किए जाने पर दैनिक जागरण ने पड़ताल की। सरकार के इस फैसले का जनता विरोध कर रही है। अब तक मिले तथ्यों में यह खुलासा हुआ है कि इन दोनों ही कस्बों में टीसीपी एक्ट लागू किए जाने का सबसे पहले प्रस्ताव 2004 में आया। उस समय कांग्रेस की ही सरकार थ, लेकिन तब कांग्रेस सरकार ने इसे लागू नहीं किया। मगर भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी यह प्रक्रिया विभाग के भीतर जारी रही। यह अलग बात है कि इस बारे में अंतिम अधिसूचना जारी नहीं हुई।

दोनों ही कस्बों को टीसीपी में शामिल करने की अंतिम अधिसूचना नयनादेवी को लेकर 28 फरवरी व घुमारवीं को लेकर तीन मार्च को इसी वर्ष जारी हुई है। नयनादेवी की गुआलग, मंडयाली व नयनदेवी तथा नयनादेवी नगर परिषद क्षेत्र टीसीपी में शामिल किया गया है। घुमारवीं में घुमारवीं नगर परिषद क्षेत्र, कोठी पंचायत, दाबला, पडयालग, लुहारवीं, पट्टा, डंगार, सेउू, बकरोआ, दधोल, तड़ौन आदि पंचायतों के कुल 62 गांवों को इसमें शामिल किया गया है। सरकार के इस फैसले का अधिकत्तर लोग विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि टीसीपी के कारण आम लोगों को अपने छोटे से छोटे निर्माण के लिए भी विभाग की औपचारिकताओं में उलझना पड़ेगा।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री रणधीर शर्मा व वरिष्ठ नेता राजेंद्र गर्ग ने कहा कि सरकार ने यह एक्ट लागू करके लोगों के हकों पर डाका डाल दिया है। इसके लिए भाजपा चुनाव के बाद भी आंदोलन करेगी।

इधर, कांग्रेस के किसी भी नेता ने इस मामले में सामने आकर कहने से इन्कार किया, लेकिन एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनाव का समय है। अभी इस मामले में कमेंट आदर्श चुनाव आचार संहिता के विरोध में जा सकता है। टीसीपी एक्ट के फायदे समझाने की बजाय भाजपा के नेता इस पर वोट बैंक की घटिया राजनीति कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में टीसीपी की प्रक्रिया जारी थी तो तब इसका विरोध क्यों नहीं किया गया? सरकार अपने फैसलों की बराबर समीक्षा करती रहती है, जिससे जनता का दूरगामी फायदा होगा।


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