वल्र्ड हेल्थ डे: आपकी सेहत रहे सलामत
स्वास्थ्य अगर अच्छा नहीं है, तो इससे आपको शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। इसलिए सेहत को उम्दा रखने के लिए कुछ सुझावों पर अमल करना जरूरी है... स्वास्थ्य का मतलब बीमारियों से मुक्त होना मात्र नहीं है।
स्वास्थ्य अगर अच्छा नहीं है, तो इससे आपको शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। इसलिए सेहत को उम्दा रखने के लिए कुछ सुझावों पर अमल करना जरूरी है...
स्वास्थ्य का मतलब बीमारियों से मुक्त होना मात्र नहीं है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
(डब्यूएचओ) के अनुसार स्वास्थ्य की
परिभाषा है- एक ऐसी अवस्था जिसमें हम शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ व सक्रिय रहें। साथ ही, सामाजिक रूप से भी सक्रिय रहकर अपने कर्तव्यों का समुचित रूप से निर्वाह कर सकें।
सन् 1950 से डब्लूएचओ हर साल 7 अप्रैल को
वल्र्ड हेल्थ डे का आयोजन कर रहा है। इस दिन
स्वास्थ्य से संबंधित विषयों पर लोगों को जागरूक बनाने का प्रयास किया जाता है । आइए इस दिवस पर स्वस्थ रहने के कुछ नियमों पर अमल करने का संकल्प लें।
साफ-सफाई (सेनीटेशन)
इसका यहां आशय है मल-मूत्र का सही विसर्जन, कूड़े को सही जगह पर डालना और हाथ धोना। लगभग
90 प्रतिशत बीमारियों का कारण है सही ढंग से साफ-सफाई का न होना। हमारे देश में ज्यादातर जगहों पर साफ-सफाई व्यवस्था उचित नहीं है। इस कारण बहुत लोग बीमार पड़ते हैं। सोचें कि जो काम महंगी से महंगी दवा नहीं कर सकती और अत्याधुनिक तकनीक नहीं कर सकती, यह काम खाने से पहले और शौच के बाद सही तरीके से हाथ धोकर हो सकता है। यानी अधिकतर
बीमारियों से छुटकारा पाना हो, तो साफ-सफाई का ध्यान रखें। मुझे खुशी है कि जनता और सरकार की पहल से स्वच्छ भारत की तरफ कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
अगर हर घर में शौचालय हो, कूड़ा सही जगह डाला जाए और जल निकासी की व्यवस्था सुचारु हो, तो बीमारों और रोगों से मरने वालों की संख्या आधे से ज्यादा घट जाएगी।
हर साल 14 लाख लोग हैजा, दस्त, टाइफाइड और पीलिया जैसी बीमारियों से दम तोड़ देते हैं। इनमें से अधिकतर 14 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं।
भोजन
खाना हमारे शरीर को ऊर्जा और आवश्यक पोषकतत्व प्रदान करता है। खाना संतुलित हो और सुरक्षित हो।
खाने से विभिन्न तत्वों के कम या ज्यादा होने या
फिर भोजन के दूषित होने से अनेक बीमारियां होती हैं। खाने में ताजा फल, सब्जियां हों और
खाना समय पर खाया जाए। ज्यादा वसायुक्त
खाद्य पदार्थ लेने से हृदय व अन्य रोगों के होने का खतरा बढ़ जाता है।
तनावमुक्त रहें
जैसे शारीरिक देखभाल जरूरी है, वैसे ही
मानसिक देखभाल भी जरूरी है। तनावमुक्त रहने के लिए कुंठा, ईष्र्या, घृणा आदि नकारात्मक विचारों से बचें।
दूसरों का सहयोग करें, मित्र बनाएं, जनसेवा करें, कोई हॉबी रखें। दूसरों के साथ कठोरता न बरतें।
बुरी बातों को भूलें और दूसरों को माफ करें।
समय पर चेकअप (जांच)
डॉक्टर की सलाह के अनुसार समय पर पता
चलने पर रोग का इलाज, रोकथाम करना आसान होता है। कई बीमारियों के शुरुआती दौर में लक्षण प्रकट नहीं होते। नियमित जांच से ही उन्हें
डायग्नोज कर सकते हैं। डॉक्टरी सलाह के अनुसार इलाज पूरा करें।
नशे से दूर रहें
धूम्रपान, शराब और नशीले पदार्थ हमारे शरीर
को कमजोर और बीमार करते हैं। नशे की लत का मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।
टीकाकरण कई बीमारियों से बचाव के टीकेउपलब्ध हैं। जैसे हैजा, हेपेटाइटिस ए व बी, टी.बी. फ्लू, न्यूमोनिया, टाइफाइड, चिकेनपॉक्स, मम्प्स आदि। बच्चों और वयस्कों का समय पर टीकाकरण कराएं। इस बारे में अपने डॉक्टर से बात कर अधिक जानकारी लें।
दांतों का स्वास्थ्य
दांत शरीर का एक महत्वपूर्ण
भाग हैं। दांतों की खराबी से कई इंफेक्शन
शरीर में जा सकते हैं। इसके अलावा दांतों के ठीक न रहने से शरीर को पोषक तत्व भी नहीं मिल पाते हैं। नियमित रूप से सुबह और रात में सोते वक्त ब्रश और कुल्ला करें।
पर्यावरण का प्रभाव
प्रदूषण कई जानलेवा बीमारियों का कारण
है और बढ़ते प्रदूषण से सांस संबंधित रोग भी
बढ़ रहे हैं। जैसे दमा रोग बढ़ते प्रदूषण का एक
कारण है। इसलिए अपने आस-पास के पर्यावरण
को साफ रखें। सड़कों पर धूल, गर्द है, तो मास्क या नाक पर रूमाल का इस्तेमाल कर आवागमन करें।
डॉ. सुशीला कटारिया
सीनियर फिजीशियन