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ऐसे कंट्रोल करें 'डाइबिटीज'

यह तथ्य चिंताजनक है कि दुनिया में मधुमेह (डाइबिटीज) से ग्रस्त सबसे ज्यादा मरीज भारत में हैं। मधुमेह एक ऐसा रोग है, जिस पर अगर नियंत्रण न किया गया, तो यह कई रोगों और स्वास्थ्य समस्याओं को बुलावा देता है। अनियंत्रित मधुमेह के कारण कालांतर में हाई ब्लडप्रेशर, हृदय और

By ChandanEdited By: Published: Tue, 11 Nov 2014 10:27 AM (IST)Updated: Tue, 11 Nov 2014 11:47 AM (IST)
ऐसे कंट्रोल करें 'डाइबिटीज'

यह तथ्य चिंताजनक है कि दुनिया में मधुमेह (डाइबिटीज) से ग्रस्त सबसे ज्यादा मरीज भारत में हैं। मधुमेह एक ऐसा रोग है, जिस पर अगर नियंत्रण न किया गया, तो यह कई रोगों और स्वास्थ्य समस्याओं को बुलावा देता है। अनियंत्रित मधुमेह के कारण कालांतर में हाई ब्लडप्रेशर, हृदय और किडनी आदि से संबंधित रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। मधुमेह को नियंत्रित करने और इसके इलाज के संदर्भ में विवेक शुक्ला ने की विशेषज्ञ डॉक्टरों से बात...

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डरें नहीं डाइबिटीज से

मधुमेह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रोगी के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है। हम जो खाना खाते हैं, वह पेट में जाकर ऊर्जा में बदलता है। उस ऊर्जा को हम ग्लूकोज कहते हैं। खून इस ग्लूकोज को हमारे शरीर के सारे सेल्स (कोशिकाओं) तक पहुंचाता है, परंतु ग्लूकोज को हमारे शरीर मेंं मौजूद लाखों सेल्स के अंदर पहुंचाना होता है। यह काम है इंसुलिन का। इंसुलिन हमारे शरीर में अग्नाशय (पैन्क्रियाज) से बनता है। इंसुलिन के बगैर ग्लूकोज सेल्स में प्रवेश नहीं कर सकता।

शुगर का स्तर

सामान्य स्वस्थ व्यक्ति में खाली पेट रक्त (ब्लड) में शुगर का स्तर 70 से 99 एम.जी. / डी.एल. या प्रतिशत रहता है। खाने के बाद यह स्तर 139 एम.जी. / डी.एल. से कम होता है, पर मधुमेह हो जाने पर यह स्तर सामान्य नहीं हो पाता। मधुमेह के मुख्य रूप से दो प्रकार हैं-

टाइप 1 और टाइप 2 ।

टाइप 1 मधुमेह

टाइप 1 मधुमेह के दौरान शरीर में इंसुलिन का निर्माण बंद हो जाता है या उत्पादन बहुत कम हो जाता है। ऐसे में मरीज को बाहर से इंसुलिन देनी पड़ती है। टाइप 1 मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है, परन्तु पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता। यह बचपन में किसी भी समय हो सकता है।

टाइप 1 के लक्षण

सामान्यत-टाइप 1 के लक्षण दो से तीन सप्ताह में उभर आते हैं। जैसे...

-ज्यादा प्यास लगना।

-ज्यादा पेशाब आना।

-ज्यादा भूख लगना।

-चानक वजन घट जाना।

-कावट महसूस होना।

टाइप 1 को नियंत्रित करने के तरीके

-टाइप 1 मधुमेह में पेनक्रियाज(अग्नाशय) की बीटा कोशिकाएं इंसुलिन बनाने में असमर्थ होती हैं। इसलिए टाइप-1 मधुमेह में कोई दवाएं काम नहीं करतीं बल्कि इंसुलिन ही प्रभावी होती है।

-इंसुलिन लेने के दौरान शुगर की नियमित जांच करें।

-संतुलित आहार और प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए।

-आहार में वसा की मात्रा कम रखनी चाहिए और मीठे खाद्य पदार्र्थों से परहेज करना चाहिए।

टाइप 2 मधुमेह

टाइप 2 मधुमेह होने पर आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनाता या फिर इंसुलिन का समुचित प्रयोग नहीं कर पाता। इस प्रकार के मधुमेह से पीडि़त लोगों का इलाज संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और दवाएं देकर या फिर इंसुलिन देकर किया जा सकता है। टाइप 2 मधुमेह का विकास जीवन-शैली और जीन संबंधी कारकों से संबंधित है।

टाइप 2 के लक्षण

-बहुत प्यास लगना और थकान महसूस होना।

-बार-बार पेशाब आना।

-हाथ-पैरों का सुन्न होना या झनझनाहट महसूस होना।

-बार-बार इंफेक्शन होना और जख्म देर से भरना।

-धुंधला दिखाई देना, यौन क्रियाओं में समस्या और लगातार भूख लगना।

मधुमेह के कारण होने वाली अनेक दीर्घकालिक समस्याएं रक्त में शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होने से जुड़ी होती हैं। मधुमेह के शिकार जो लोग अपना ब्लड शुगर नियंत्रण में रखते हैं, वे सभी इन दीर्घकालिक समस्याओं से बचे रहते हैं। जैसे शुगर नियंत्रण की स्थिति में आंखों की समस्याएं,गुर्दे की तकलीफ, नसों की खराबी, दिल का दौरा पडऩा या लकवा लगना, बार-बार इंफेक्शन होना और यौन समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

अपनी देखभाल कैसे करें

-प्रतिदिन 30 मिनट व्यायाम जरूर करें।

-संतुलित और पोषक आहार लें। फैट का सेवन कम करें। 20 ग्राम फाइबर हर दिन खाएं। जैसे सब्जियां, साबुत दाल, साबुत फल आदि।

-मीठे खाद्य पदार्र्थों से परहेज करें।

-मैदा का सेवन न करें।

-6 से 7 घंटे रात में नींद अवश्य लें।

-दवाएं और इंसुलिन समय पर लें।

-ग्लूकोज स्तर की जांच करवाएं।

-ग्लूकोज स्तर का कम होना या फिर ज्यादा होने के लक्षणों को पहचानें।

-अगर वजन ज्यादा है, तो वजन कम करें।

(डॉ. अंबरीश मित्तल इंडोक्राइनोलॉजिस्ट/

मेदांत दि मेडिसिटी, गुडग़ांव)

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