वर्ल्ड अस्थमा डे
दमा (अस्थमा) में पीड़ित व्यक्ति की सांस की नलिकाओं में सूजन आ जाती है। इस कारण उसे सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है। लक्षण -सांस लेने में कठिनाई, जो दौरे (अस्थमा अॅटैक) के रूप में तकलीफ देती है। -खांसी जो रात में और तेज हो जाती है। -सीने में कसाव व जकड़न। -सीने से घर
दमा (अस्थमा) में पीड़ित व्यक्ति की सांस की नलिकाओं में सूजन आ जाती है। इस कारण उसे सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है।
लक्षण
-सांस लेने में कठिनाई, जो दौरे (अस्थमा अॅटैक) के रूप में तकलीफ देती है।
-खांसी जो रात में और तेज हो जाती है।
-सीने में कसाव व जकड़न।
-सीने से घरघटाहट जैसी आवाज आना।
-गले से सीटी जैसी आवाज आना।
-बार-बार जुकाम होना।
जांचें
दमा का पता अधिकतर लक्षणों के आधार पर लगाया जाता है। कुछ परीक्षणों जैसे सीने में आला लगाकर, फेफड़े की कार्यक्षमता की जांच (पीईएफआर) और स्पाइरोमीट्री नामक जांचें की जाती हैं।
क्या करें दौरे को रोकने के लिए
दमा के दौरे को रोकने के लिए इन सुझावों पर अमल करें..
-दमा की दवा हमेशा अपने पास रखें और कंट्रोलर इनहेलर हमेशा समय से लें।
-सिगरेट व सिगार के धुएं से बचें।
-फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए सांस से संबंधित व्यायाम करें।
-यदि बलगम गाढ़ा हो गया है, खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाए या रिलीवर इनहेलर की जरूरत बढ़ गई हो, तो शीघ्र अपने डॉक्टर से मिलें ।
बचाव
-मौसम बदलने से सांस की तकलीफ बढ़ती है, तो मौसम बदलने के चार से छह सप्ताह पहले ही सजग हो जाना चाहिए। डॉक्टर से इस बारे में उचित परामर्श लेना चाहिए।
-इनहेलर व दवाएं विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही लेनी चाहिए। समुचित इलाज होने पर आने वाले दिनों में या तो सांस का दौरा पड़ता ही नहीं है या बहुत कम पड़ता है या दौरे की आवृत्ति कम हो जाती है।
-जिन वस्तुओं या माहौल के संपर्क में आने पर पीड़ित व्यक्ति की तकलीफ बढ़ती है, उन्हें एलर्जन्स कहा जाता है। जहां तक संभव हो, एलर्जन्स के संपर्क में न आएं। जैसे- धूल, धुआं, गर्दा, नमी, सर्दी व धूम्रपान आदि।
-सर्दी, जुकाम, गले की खराश या फ्लू जैसी बीमारी का तुरंत इलाज कराना चाहिए, क्योंकि इससे बीमारी के बिगड़ने का खतरा रहता है।
-कारपेट, बिस्तर व चादरों की सोने से पूर्व नियमित सफाई करनी चाहिए।
-व्यायाम या मेहनत का कार्य करने से पहले इनहेलर अवश्य लेना चाहिए। यदि रात में संास फूलती है, तो रात में सोने से पहले ही इनहेलर और अन्य दवाएं डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देश के अनुसार लें।
-घर हवादार होना चाहिए, सीलनयुक्त न हो। खुली धूप आनी चाहिए।
-बच्चों को लंबे रोएंदार कपड़े न पहनाएं। जो बच्चे दमा से पीड़ित हैं, उन्हें टेडी बीयर और फरदार खिलौनों से नहीं खेलना चाहिए।
-घर की सफाई, पुताई व पेंट के समय रोगी को घर से बाहर रहना चाहिए।
-रोगी के कमरे में असली व नकली पौधे न रखें। कुत्ता, बिल्ली और पक्षी न पालें। घर को कॉकरोचों से मुक्त रखें।
(डॉ. सूर्यकांत ,प्रमुख:पल्मोनरी मेडिसिन विभाग)