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एचआईवी पीड़ि़तों को टीबी होने की वजह पता चली

स्वीडन की लिंकोपिंग यूनिवर्सिटी के मुख्य शोधकर्ता राबर्ट ब्लोमग्रान ने कहा कि एचआईवी पाजिटिव वाले रोगियों में टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) के संक्रमण का 30 गुना अधिक खतरा रहता है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 21 Oct 2016 02:54 PM (IST)Updated: Fri, 21 Oct 2016 03:02 PM (IST)
एचआईवी पीड़ि़तों को टीबी होने की वजह पता चली

स्टॉकहोम, एजेंसी। एचआईवी पीड़ि़तों के टीबी की चपेट में आने की वजह का पता लगा लिया गया है। इसके वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर देते हैं जिससे टीबी होने का खतरा कई गुना बढ़़ जाता है।

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स्वीडन की लिंकोपिंग यूनिवर्सिटी के मुख्य शोधकर्ता राबर्ट ब्लोमग्रान ने कहा कि एचआईवी पाजिटिव वाले रोगियों में टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) के संक्रमण का 30 गुना अधिक खतरा रहता है। हालांकि इसकी वजह अभी तक पता नहीं चल पाई थी। नए शोध में इसके कारण को ढूंढ निकाला गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि एक खास तरह की प्रतिरक्षा कोशिकाओं डेंड्रिटिक सेल्स में यह सब कुछ होता है। इनकी प्रतिरक्षा प्रणाली में अहम भूमिका होती है। डेंड्रिटिक सेल्स ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया समेत दूसरे घातक सूक्ष्म जीवों को विभाजित करती है। इसके बाद यह टी सेल्स को सक्रिय कर देती है। टी सेल्स ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया का पूरी तरह सफाया कर देती हैं। लेकिन एचआईवी वायरस से इसकी कार्य क्षमता घट जाती है। इससे टीबी बैक्टीरिया हावी होने लगते हैं।


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