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कैंसर के खिलाफ जीती जा सकती है जंग

आमतौर पर कैंसर बीमारी का नाम सुनकर पीडि़त व्यक्ति ही नहीं बल्कि रोगी के परिजन भी भयभीत हो जाते हैं। सच तो यह है कि कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण समय रहते विभिन्न प्रकार के कैंसरों का कारगर इलाज संभव है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2016 03:20 PM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2016 03:30 PM (IST)
कैंसर के खिलाफ जीती जा सकती है जंग

आमतौर पर कैंसर बीमारी का नाम सुनकर पीडि़त व्यक्ति ही नहीं बल्कि रोगी के परिजन भी भयभीत हो जाते हैं। सच तो यह है कि कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण समय रहते विभिन्न प्रकार के कैंसरों का कारगर इलाज संभव है। वल्र्ड कैंसर डे (4 फरवरी) पर विशेष...

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सहज शब्दों में कहें, तो कैंसर शरीर में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि का एक समूह है। कैंसर शरीर के अंग विशेष से अन्य भागों में भी फैल सकता है। अगर शरीर में तेजी से बढऩे वाली कोई गांठ हैं, तो वह कैंसर हो सकती है। वहीं जो गांठ तेजी से नहीं बढ़ती, उसमें कैंसर होने की आशंका कम होती है। मस्तिष्क में तेजी से बढऩे वाली गांठें ट्यूमर कहलाती हैं। ध्यान दें कि हर गांठ कैंसर नहीं होती।

कारण

कैंसर होने के तमाम कारण हैं। विभिन्न प्रकार केकैंसरों के कारण भी विभिन्न होते हैं। जेनेटिक कारणों से भी कैंसर होता है। इसके अलावा अस्वास्थ्यकर जीवन-शैली और पर्यावरण संबंधी कारण भी कैंसर के लिए उत्तरदायी है। जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें अन्य स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में फेफड़ों का कैंसर होने की आशंकाएं कहीं ज्यादा बढ़ जाती हैं। तंबाकू उत्पादों को चबाने वाले लोगों में मुंह का कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसी तरह जो लोग

शराब का अत्यधिक सेवन करते हैं, उनमें लिवर या पाचन संस्थान से संबंधित या अन्य प्रकार के कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है। शरीर में दो तरह के जीन्स होते हैं।

पहला, कैंसर प्रमोटर जीन्स और दूसरा, कैंसर सप्रेशन जीन्स। एक स्वस्थ व्यक्ति में इन दोनों जीन्स के मध्य संतुलन और तालमेल कायम रहता है, लेकिन अगर इन दोनों के मध्य संतुलन बिगड़ जाता है, तो कैंसर होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।

लक्षण

विभिन्न प्रकार के कैंसरों के लक्षण भी विभिन्न होते हैं। जैसे जो लोग भोजन नली (ईसोफेगस) के कैंसर से ग्रस्त होते हैं, उन्हें किसी भी वस्तु या तरल पदार्थ को निगलने में तकलीफ होती है। कहने का आशय यह है कि कैंसर ने जिस अंग या भाग को प्रभावित कर रखा है, उससे संबंधित

कार्यप्रणाली बाधित होने लगती है। अगर कैंसर फेफड़े का है, तो इससे फेफड़ों की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।

जांचें और नई तकनीकें

कैंसर रोग की पहचान (डायग्नोसिस) और अवस्था (स्टेज) का पता करने के लिये पैट सी.टी.स्कैन अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुआ है। बॉयोप्सी जांच से भी कैंसर का पता चलता है, लेकिन पैट. सी. टी. परीक्षण से शरीर के किसी भी अंग में(मस्तिष्क को छोड़कर) कैंसर का सटीक पता लगाया जा सकता है। वस्तुत: दिमाग के कैंसरग्रस्त भाग के परीक्षण में एमआरआई परीक्षण अधिक कारगर सिद्ध हुआ है। पैट सी.टी.स्कैन लिम्फोमा, फेफड़े के कैंसर, खाने की नली के कैंसर और गर्भाशय के मुख के कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) का पता लगाने के लिए एक सटीक व प्रमुख जांच है। इससे कैंसर पीडि़त व्यक्ति के रोग की वास्तविक अवस्था का पता लग जाता है और सही इलाज की दिशा मिल जाती है। इलाज के बाद इस जांच के द्वारा यह भी पता चल जाता है कि कैंसर के अंश शरीर में हैं या नहीं। इस जांच से कैंसरग्रस्त भाग के 5 मि.मी. तक की स्थिति का पता चल जाता है। इसेदुर्भाग्य ही कहेंगे कि देश में अनेक लोग कैंसर की तीसरी व चौथी अवस्था के दौरान अस्पतालों में इलाज के लिये पहुंचते हैं।

साइबर नाइफ

साइबर नाइफ एक आधुनिकतम तकनीक है, जिसके प्रयोग से बेहोश किये बगैर कैंसर का निदान किया जाता है।

वस्तुत: साइबर नाइफ रेडियो सर्जरी का एक अत्यंत कारगर 'टारगेट सिस्टमÓ है, जिसमें रोगी के शरीर के प्रभावित अंग पर सर्जरी किए बगैर कैंसर का इलाज संभव है। साइबर नाइफ रेडियो सर्जरी मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, फेफड़ों, पैनक्रियाज और गुर्दे के कैंसर के इलाज में सफल साबित हुआ है। मुख व गले के कैंसर का साइबर नाइफ के जरिये इलाज संभव है।

भविष्य की आशा: प्रोटॉन थेरेपी

विकिरण चिकित्सा(रेडिएशन थेरेपी) कैंसर पर विजय पाने के लिये इलाज का एक अभिन्न अंग है। विकसित

पाश्चात्य देशों में प्रोटॉन थेरेपी द्वारा विकिरण चिकित्सा कैंसर के इलाज में चंद दशकों से प्रचलन में है। इस

तकनीक के इलाज से विकिरण ऊर्जा कैंसरग्रस्त भाग में ही डिपॉजिट की जाती है। इसके परिणामस्वरूप कैंसरग्रस्त भाग के आसपास स्थित अन्य स्वस्थ सामान्य ऊतक (नॉर्मल टिश्यू) पूरी तरह से बचा लिये जाते हैं।

बच्चों में होने वाले कैंसर और खोपड़ी (स्कल) में होने वाले कैंसर (जो सर्जरी से ठीक नहीं हो सकते है) के

मामलों में भी प्रोटॉन थेरेपी काफी कारगर सिद्ध हुई है।अभी प्रोटान थेरेपी देश में उपलब्ध नहीं है, लेकिन निकट भविष्य में मेदांता समेत देश के चुनिंदा अस्पतालों में इस थेरेपी की सुविधा उपलब्ध हो सकती है।

कैंसर और महिलाएं

महिलाओं में कैंसर के अधिकतर मामले गर्भाशय ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर से संबंधित होते हैं। इसके बाद उनमें स्तन या ब्रेस्ट कैंसर के मामले कहीं ज्यादा सामने आते हैं। सर्वाइकल कैंसर का सामान्य कारण ह्यूमैन पैपिलोमा वाइरस(एच पी वी) को माना जाता है। इस कैंसर में शारीरिक संपर्क के दौरान पीडि़त महिला को अत्यधिक दर्द होता है और प्रजनन अंग से रक्तस्राव भी हो सकता है। अगर युवा विवाहित महिलाएं स्त्री रोग विशेषज्ञ के परामर्श पर एच पी वी वैक्सीन लगवा लेती हैं, तो सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम की जा सकती है। युवा विवाहित महिलाओं को स्त्री रोग विशेषज्ञ के परामर्श पर समय-समय पैप स्मियर जांच अवश्य करानी चाहिए।

अगर पैप स्मियर जांच रिपोर्ट असामान्य आती है, तो फिर कॉल्पोस्कोपी जांच जरूर करानी चाहिए।'' महिलाओं

के स्तनों में होने वाली हर गांठ कैंसर नहीं होती। इसलिए अगर किसी महिला को गांठ सरीखा कुछ महसूस हो,

तो उसे इस बारे में विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क कर मैमोग्राफी नामक जांच करानी चाहिए। समय रहते सर्वाइकल

कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर का अब पूरी तरह से इलाज संभव है।

डॉ. निकिता स्त्री रोग विशेषज्ञ, लैप्रोस्कोपिक सर्जन. नई दिल्ली

पित्ताशय का कैंसर

संभव है कारगर इलाज पित्ताशय (गाल ब्लैडर)का कैंसर पित्त नली में होने वाला कैंसर है। पित्ताशय एक ऐसा अंग है जो पेट के ऊपरी भाग में लिवर के नीचे स्थित होता है। यह वसा (फैट) को पचाने के लिए लिवर के द्वारा बनाये गए एक तरल पदार्थ 'पित्त' का संग्रह करता है। भोजन करने के बाद जब पेट और आंतों में भोजन को बारीक बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है, उस समय पित्ताशय से पित्त निकलता है, जो पाचन में मदद करता है।

लक्षण

- पीलिया (त्वचा का पीला पडऩा और आंखों का

रंग सफेद होना)।

- पेट में दर्द रहना।

- मतली और उल्टी होना।

- पेट में गांठ होना।

- बुखार रहना।

जांचें

गॉल ब्लैडर के कैंसर से बचने के लिए या जल्दी डायग्नोस करने के लिए 30 साल की उम्र के बाद

पेट का अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए। इसके अलावा एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (ईयूएस),सीटी स्कैन,

एमआरआई आदि जांचे करायी जाती हैं।

इलाज

आम तौर पर पित्ताशय कैंसर से पीडि़त लोगों के लिए सबसे अच्छा इलाज सर्जरी के जरिये पित्ताशय को

निकालकर उसके बाद रेडियेशन थेरेपी देना है। यदि कैंसर अधिक विकसित अवस्था में है, तो डॉक्टर

पित्ताशय के साथ- साथ लिवर और लिम्फ नोड्स के कुछ टिश्यूज को भी निकाल देते हैं।

डॉ. प्रवीण बंसल

वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ

एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, फरीदाबाद

डॉ.अशोक वैद

सीनियर ऑनकोलॉजिस्ट

मेदांता दि मेडिसिटी, गुडग़ांव


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