एलर्जी के कितने रूप
एलर्जी तब होती है, जब शरीर किसी पदार्थ के प्रति प्रतिक्रिया करता है। एलर्जी को हल्के में लेना सेहत के लिए भारी पड़ सकता है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर एलर्जी से बचा जा सकता है। फिर भी अगर कोई शख्स एलर्जी से ग्रस्त हो ही गया, तो उसका इलाज संभव
एलर्जी तब होती है, जब शरीर किसी पदार्थ के प्रति प्रतिक्रिया करता है। एलर्जी को हल्के में लेना सेहत के लिए भारी पड़ सकता है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर एलर्जी से बचा जा सकता है। फिर भी अगर कोई शख्स एलर्जी से ग्रस्त हो ही गया, तो उसका इलाज संभव है ...
देश में लगभग 25 फीसदी जनसंख्या एक या एक से अधिक एलर्जी से संबंधित रोगों से ग्रस्त है।
वे पदार्थ जिनके कारण शरीर में प्रतिक्रिया होती है, एलर्जन कहलाते हैं। एलर्जी के विभिन्न प्रकार होते हैं। जैसे...
एटॉपिक डर्मेटाइटिस यह भी एलर्जी का एक प्रकार है, जिसमें त्वचा में सूजन आ जाती है। यह समस्या उन लोगों में ज्यादा पायी जाती है, जिनके परिवार के अन्य सदस्यों में भी एलर्जी के लक्षण पाए जाते हैं।
त्वचा की एलर्जी के मुख्य लक्षण
- त्वचा पर खुजली होना।
- बार-बार त्वचा का संक्रमण।
- शरीर के जोड़ों वाले भागों पर ज्यादा असर होना।
- रोग का पारिवारिक इतिहास।
- त्वचा पर पपड़ी का जमना।
- मुंह के कोनों का फटना।
- हाथ या पैर में खुजली होना।
दवाओं से एलर्जी
दवाओं से एलर्जी के प्रभाव का दायरा काफी बड़ा है। हर व्यक्ति के शरीर पर इसके अलग-अलग असर देखने को मिल सकते हैं। किसी व्यक्ति के शरीर पर चकत्ते और खुजली हो सकती है, वहीं दूसरे को कोई दिक्कत न हो ऐसा भी संभव है। इस तरह की एलर्जी कुल होने वाली एलर्जी का 5 से 10 फीसदी होती है।
कुछ दवाओं के प्रति एलर्जी ज्यादा देखी जाती है।
एंटीबॉयोटिक्स में जैसे पेंसिलीन, दर्द निवारक दवाएं, मिर्गी के दौरों की दवाएं और कीमोथेरेपी (कैंसर की दवाएं)। दवाओं से होने वाली गंभीर प्रकार की एलर्जी के लक्षणों में उल्टी से लेकर बालों का झडऩा, पेट खराब होना और दस्त आदि शामिल हैं। कई बार ब्लड प्रेशर के इलाज में दी जाने वाली कुछ दवाओं के एंजाइम से खांसी, चेहरे और जीभ में सूजन जैसे लक्षण प्रकट हो जाते हैं।
खाद्य पदार्र्थों से होने वाली एलर्जी
इस तरह की एलर्जी में हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) भोजन में शामिल किसी खास प्रोटीन के प्रति अतिसंवेदनशीलता प्रकट करता है। ऐसे खाद्य पदार्थों की थोड़ी-सी मात्रा खाने से एलर्जी के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। कुछ खास खाद्य एलर्जन्स में दूध, अंडे, मछली और अन्य मांसाहारी भोजन, सोया, प्रिजर्वेटिव्स, फास्टफूड्स और गेहूं भी शामिल हैं। फूड
इनटॉलरेन्स और फूड एलर्जी में एक खास अंतर यह होता है कि एलर्जी में प्रतिरक्षा तंत्र एक अनावश्यक प्रतिक्रिया प्रकट करता है, जो उस खाद्य पदार्थ में शामिल किसी खास प्रोटीन के कारण होता है। दूसरी ओर फूड इनटॉलरेन्स किसी पाचक एन्जाइम की कमी के कारण होता है।
लेटेक्स एलर्जी
लेटेक्स रबर के पौधे से स्रावित दूध जैसा दिखने वाला चिपचिपा द्रव होता है, जिसमें कुछ रसायन मिलाकर रबर का निर्माण किया जाता है। इसका इस्तेमाल दस्ताने, गुब्बारे, रबर बैन्ड, इरेजर व खेल के सामान बनाने में किया जाता है। इस तरह की एलर्जी उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है, जो लेटेक्स की बनी चीजें ज्यादा उपयोग में लाते हैं। उदाहरण के तौर पर डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों को संक्रमण से
बचाव के लिए लेटेक्स से बने दस्ताने पहनने होते हैं।
ऐसे लोगों में यह एलर्जी ज्यादा देखी गयी है। लेटेक्स एलर्जी से पीडि़त 50 फीसदी लोगों में अन्य तरह की एलर्जी भी देखी गयी है। ऐसे लोगों में खाद्य एलर्जी भी तुलनात्मक रूप से ज्यादा होती है।
परफ्यूम, इत्र और रसायन कुछ लोगों को सुगंधित स्प्रे, इत्र, व रसायनों से भी विभिन्न प्रकार की एलर्जी हो जाती है।
खिलौनों से एलर्जी- विशेषत: सॉफ्ट टॉयज और फर वाले टेडी बियर से बच्चों में त्वचा की एलर्जी व दमा की शिकायत हो जाती है।
डायग्नोसिस
त्वचा परीक्षण- ये परीक्षण एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थ की पहचान के लिए किए जाते हंै।
रक्त परीक्षण- रक्त में विशिष्ट एंटीबॉडी से संबंधित परीक्षण किया जाता है।
इनविट्रो परीक्षण- फूड एलर्जी की संभावना का पता करने के लिए किया जाता है।
कीटों के डंक से
एलर्जी हममें से अनेक लोग मधुमक्खियों और
बर्र के डंक की पीड़ा बर्दाश्त कर चुके
हैं और तब आपको यह भी ध्यान जरूर
होगा कि उस जगह पर किस तरह से
तीखी पीड़ा के साथ लालिमा और
सूजन आ जाती थी। जो लोग इस तरह
की एलर्जी से पीडि़त होते हैं, उनमें यह
स्थिति और ज्यादा गंभीर हो जाती है।
अन्य गंभीर लक्षणों में चेहरे, गले और
जीभ पर सूजन, सांस लेने में दिक्कत,
शरीर में भारीपन, पेट में मरोड़, जी
मिचलाना और शरीर में चकत्ते व
खुजली आदि को शुमार किया
जाता है।
पालतू जानवरों से एलर्जी
पालतू जानवरों के रोएं, रूसी, लार और पेशाब में पाये जाने वाले पदार्थ एलर्जी पैदा कर सकते है। इसके अलावा इन जानवरों के रोएं में एकत्र हाने वाले परागकण और फफूंद के बीजाणु (स्पोर्स) भी एलर्जी का कारण बन सकते हैं। इस तरह की एलर्जी के लक्षणों में छींके आना, खुजली होना, आंखों से पानी आना और अस्थमा तक के
लक्षण शामिल हैं। पालतू जानवरों की उपस्थिति अन्य किस्म की एलर्जी से पीडि़त लोगों में लक्षणों की तीव्रता बढ़ाने का कारण बन सकती है।
उपचार
एलर्जी का इलाज काफी लंबा चलता है। इसलिए रोगी को धैर्यपूर्वक इलाज कराना चाहिए। डॉक्टर के परामर्श से दवाओं का सही व नियमित प्रयोग करना चाहिए। एलर्जी की समस्या में कुछ दवाएं कारगर होती हैं। जैसे सेट्रीजीन (ब्रांड नेम नहीं बल्कि केमिकल एलीमेंट है), लीवो सेट्रीजीन, फैक्सोफेनाडीन, क्लोरफेनीरामीन और
मोंटील्यूकास आदि। एलर्जी के इलाज में इम्यूनोथेरेपी का भी इस्तेमाल किया जाता है।
डॉ.सूर्यकांत त्रिपाठी प्रमुख रेस्पाइरेट्री मेडिसिन डिपार्टमेंट
चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ