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टाइप-1 डायबिटीज के इलाज की दिशा में ब़डी कामयाबी

बु्रसेल्स । शोधकर्ताओं ने टाइप-1 डायबिटीज के इलाज की दिशा में ब़डी कामयाबी हासिल की है। शोधकर्ताओं ने ऐसी कोशिकाएं विकसित की है जो इंसुलिन बनाने में सक्षम हैं। इन कोशिकाओं को टाइप--1 डायबिटीज (जन्म से ही होने वाली) पी़ि$डतों में प्रत्यारोपित करने से इलाज संभव होगा।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2015 01:24 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2015 01:28 PM (IST)
टाइप-1 डायबिटीज के इलाज की दिशा में ब़डी कामयाबी

बु्रसेल्स । शोधकर्ताओं ने टाइप-1 डायबिटीज के इलाज की दिशा में ब़$डी कामयाबी हासिल की है। शोधकर्ताओं ने ऐसी कोशिकाएं विकसित की है जो इंसुलिन बनाने में सक्षम हैं। इन कोशिकाओं को टाइप--1 डायबिटीज (जन्म से ही होने वाली) पी़ि$डतों में प्रत्यारोपित करने से इलाज संभव होगा।

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टाइप-1 डायबिटीज के इलाज के लिए अग्नाशय में बीटा कोशिकाओं को प्रत्यारोपित करना एक महत्वपूर्ण पद्धति है। बेल्जियम में यूनिवर्सिटी कैथोलिक डी लौविन के शोधकर्ताओं ने पाया कि वयस्क लोगों के अग्नाशय से मिलने वाली एचडीडीसी कोशिकाएं अपनी संरचना बदलने में सक्षम होती हैं। इन कोशिकाओं में हल्के बदलाव से इनमें बीटा कोशिकाओं जैसे गुण पैदा किए जा सकते हैं। शोधकर्ताओं ने टाइप-1 डायबिटीज पी़ि$डत चूहे पर इस प्रक्रिया का सफल प्रयोग किया। आम तौर पर बीटा कोशिकाओं पर शरीर का इम्यून सिस्टम हमला करके उन्हें नुकसान पहुंचाता है जबकि इन खास कोशिकाओं से इंसुलिन का निर्माण, संग्रह और स्राव सफलतापूर्वक किया जा सकता है।


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