टाइप 2 डाइबिटीज रोगी रख सकते हैं रोजा
इन दिनों मुकद्दस रमजान के महीने में दुनिया भर में मुस्लिम आबादी रोजा रख रही है। जो लोग टाइप 2 मधुमेह (डाइबिटीज) से ग्रस्त हैं, वे भी सजग रहकर सेहतमंद तरीके से अपना रोजा रख सकते हैं। आइए जानते हैं ये सजगताएं क्या हैं...
इन दिनों मुकद्दस रमजान के महीने में दुनिया भर में मुस्लिम आबादी रोजा रख रही है। जो लोग टाइप 2 मधुमेह (डाइबिटीज) से ग्रस्त हैं, वे भी सजग रहकर सेहतमंद तरीके से अपना रोजा रख सकते हैं। आइए जानते हैं ये सजगताएं क्या हैं...
अधिकतर लोग टाइप-2 मधुमेह के साथ भी सुरक्षित तरीके से रोजा रख सकते हैं, परंतु कुछ लोग जो मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए
इंसुलिन लेते हैं, उनके लिए रोजा रखना
हानिकारक हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि रोजे के दौरान आपके आहार और जीवन-शैली में जबरर्दस्त बदलाव आ जाता है। आइए जानते हैं, इस संदर्भ में कुछ जानकारियां, जो टाइप 2
मधुमेह से ग्रस्त रोगियों के लिए रोजा रखने के दौरान लाभप्रद हो सकती हैं। जैसे... मेरे शरीर में रोजे के दौरान क्या-क्या बदलाव होंगे?
अक्सर जब एक व्यक्ति लगभग 15 से 16
घंटे तक कुछ नहीं खाता, तब उसके
शरीर में ऊर्जा का स्तर शरीर में मौजूद
ऊर्जा के स्टोर्स के द्वारा नियंत्रित होता है, परंतु मधुमेह से ग्रस्त व्यक्ति के साथ यह संभव नही हो पाता और रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज) सामान्य
से कम हो सकती है। ज्यादातर ऐसा तब
होता है, जब वह इंसुलिन या मधुमेह की दवाएं
ले रहा हो।
सामान्य से कम शुगर को हाइपो-ग्लाइसीमिया कहते हैं। हाइपोग्लाइसीमिया तब होता है, जब ब्लड शुगर 70 मि.ग्रा./ डी.एल से कम हो जाए। ऐसे में हाथ, पैर कांपना, पसीना आना और अचानक भूख लगना जैसे लक्षण महसूस होते हैं। इस स्थिति में चीनी, शहद या ग्लूकोज लेना जरूरी होता है। इस बार कई सालों के बाद सबसे ज्यादा लंबे रोजे शुरू हुए हैं। इस वजह से हाइपोग्लाइसीमिया और डीहाइड्रेशन का खतरा मधुमेह टाइप 2 से ग्रस्त लोगों को ज्यादा है।
मैं मधुमेह से ग्रस्त हूं, फिर भी क्या मैं रोजा
रख सकता हूं?
अगर आप मधुमेह को नियंत्रित रखते हैं,
संतुलित आहार ले रहे हैं, नियमित व्यायाम
कर रहे हैं और रोजे के दौरान परिवर्तनशील
जीवन- शैली के साथ सामंजस्य स्थापित
किए हुए हैं, तो आप रोजे रख सकते हैं। अगर
आप ग्लिपटिन या मेटफॉर्मिन ग्रुप की दवाओं
पर हैं, तो भी आप रोजे सुरक्षित तौर पर रख
सकते हैं, परंतु इंसुलिन या सल्फोनलयूरिया
दवाएं लेने वाले व्यक्ति डॉक्टर से सलाह
लेकर ही रोजे रखें। अगर आपको मधुमेह से
संबंधित किसी भी प्रकार की जटिलताएं जैसे
किडनी रोग या हृदय रोग है, तो रोजे न रखें।
क्या रमजान के दौरान दवाएं लेते
रहना चाहिए?
जी हां, दवाएं लेना जरूरी है, परंतु दवाई का
समय और खुराक बदलनी पड़ सकती है।
दवाई न लेने से शुगर के अधिक होने का
खतरा है। यह भी जरूरी कि आप अपनी शुगर
की नियमित जांच करें और डॉक्टर के परामर्श
से ही दवाई की खुराक एडजस्ट कराएं।
क्या मुझे डीहाइड्रेशन का खतरा है?
रोजे के दौरान पानी के बिना कई घंटों तक
रहने से मधुमेह में डीहाइड्रेशन का खतरा बढ़
जाता है। रक्त शर्करा के बढ़े हुए होने से भी
डीहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है जो काफी
हानिकारक होता है। ध्यान रहे कि आप रोजा
शुरू करने से पहले और इफ्तार और सहरी के
बीच खूब पानी पिएं और फल खाएं। चाय,
कॉफी और कोल्डड्रिंक्स डीहाइड्रेशन
का खतरा बढ़ाते हैं। मौसम गर्म होने
के कारण डीहाइड्रेशन हो सकता है।
मुझे सहरी के वक्त क्या खाना
चाहिए?
सहरी के वक्त आप कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट्स
खाएं। जैसे मल्टीग्रेन आटे की रोटी, बासमती
चावल, साबुत दालें और फल। मीठे फल कम
मात्रा में खाएं। खाद्य पदार्र्थों के संदर्भ में
उपर्युक्त सुझावों पर अमल करने से सारा दिन
शुगर का स्तर सामान्य बनाए रखने में मदद
मिलेगी। खाने में चिकनाई या नमक की मात्रा
अधिक रखने से प्यास ज्यादा महसूस होगी।
सलाद खूब खाएं व पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
मुझे इफ्तार के वक्त क्या लेना चाहिए?
रोजा तोडऩे के लिए एक या तीन खजूर से
शुरुआत करें। तली हुई चीजें जैसे तले कबाब,
पकौड़े और पूड़ी आदि कम खाएं। मिठाइयां
खाने से शुगर अधिक बढ़ सकता है।
डॉ.अंबरीश मित्तल
सीनियर इंडोक्राइनोलॉजिस्ट
मेदांता दि मेडिसिटी, गुडग़ांव