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दो बहनें और लिवर एक, डॉक्टरों ने किया कमाल

वाकई यह ऑपरेशन विलक्षण था। श्रीनगर के एक व्यक्ति की पत्नी ने दो माह पहले जुड़वां बहनों को जन्म दिया था। दोनों बहनों का पेट और लिवर आपस में जुड़ा था। लिवर दोनों ही बहनों के पेट में लगभग आधा-आधा बंटा था।

By deepali groverEdited By: Published: Tue, 02 Dec 2014 10:31 AM (IST)Updated: Tue, 02 Dec 2014 10:53 AM (IST)
दो बहनें और लिवर एक, डॉक्टरों ने किया कमाल

वाकई यह ऑपरेशन विलक्षण था। श्रीनगर के एक व्यक्ति की पत्नी ने दो माह पहले जुड़वां बहनों को जन्म दिया था। दोनों बहनों का पेट और लिवर आपस में जुड़ा था। लिवर दोनों ही बहनों के पेट में लगभग आधा-आधा बंटा था। इस सर्जरी को 35 से अधिक डॉक्टरों की टीम ने अंजाम दिया, जिसका नेतृत्व मेदांता हॉस्पिटल के सीनियर लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन अरविंदर सिंह सोइन और पीड्रियाट्रिक गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट डॉ. नीलम मोहन ने किया। फीचर हेल्थ पेज प्रभारी विवेक शुक्ला ने इन दोनों प्रमुख डॉक्टरों से बात की। प्रस्तुत हैं, इस बातचीत के प्रमुख अंश...

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क्या यह अत्यंत विलक्षण या फिर कहें 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' ऑपरेशन था?

बेशक। डॉ. सोइन के अनुसार दोनों जुड़वां बच्चियों के शरीर को अलग करना और फिर उनके स्वास्थ्य को बहाल करना एक दुर्लभ चुनौती थी। लिवर जुड़े होने के ऐसे मामलों में इस तरह की सर्जरी 50 मिलियन(एक मिलियन = 10 लाख) में से एक मरीज पर ही सफल होती है।

ऑपरेशन के दौरान आपकी मेडिकल टीम को कौन-कौन सी समस्याओं व जटिलताओं से रू-ब-रू होना पड़ा?

डॉ. नीलम मोहन की राय में ऑपरेशन से पहले हमें यह देखना जरूरी था कि जुड़वा बच्चियों के लिवर के अलावा आंतरिक शरीर के अन्य अंग तो जुड़े नहीं हैं। इसके अलावा जो अंग हैं, वे सही तरह से काम कर रहे हैं या नहीं। जैसे फेफड़े, किडनी, हृदय आदि अंग सही तरीके कार्य कर रहे हैं या नहीं। यह जानने के बाद ही इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता था कि इस प्रस्तावित सर्जरी को जुड़वां बहनें बर्दाश्त कर सकेेंगी।

हमने सीटी स्कैन, एंजियोग्राफी और एमआरआई जांचों के जरिये यह पता किया कि लिवर की कितनी नसें एक-दूसरे के शरीर में कॉमन हैं या फिर मिली हुई हैं। ओरल कंट्रास्ट देकर सीटी स्कैन में देखा कि एक -दूसरे की आंतें आपस में मिली तो नहीं हैं। इन सब बातों की मॉनीटरिंग करना जरूरी था।

क्या लिवर के अलावा जुड़वा बच्चों के अन्य जुड़े हुए अंगों को भी इस तरह की सर्जरी से अलग किया जा सकता है?

डॉ. सोइन के अनुसार जुड़वां बच्चे कई तरह से जुड़े होते हैं। ऐसे बच्चों के सिर, पैर, कूल्हे, सीना और पेट जुड़े होते हो सकते हैं। लेकिन पेट और लिवर से जुड़े जुड़वां बच्चियों का भारत में यह पहला मामला है। डॉ. नीलम मोहन की राय में जुड़वां बच्चों की विकृतियों को ऑपरेशन कर दूर करने से पहले यह देखना पड़ता है कि ऐसे बच्चों की शारीरिक स्थितियां कैसी हैं। जैसे जुड़वां बच्चों के शरीर में एक किडनी या एक दिल हो, तो ऐसी स्थिति में ऑपरेशन नहीं किया जा सकता। अगर ऑपरेशन किया गया, तो एक बच्चे की मौत संभव है।

इस ऑपरेशन में किन-किन नई मेडिकल तकनीकों का इस्तेमाल किया गया और इस तरह के जटिल ऑपरेशन में जान जाने का जोखिम कितने प्रतिशत होता है?

डॉ. सोइन के अनुसार इस तरह के ऑपरेशन में ब्लडलेस लिवर सर्जरी और इंट्राऑपरेटिव 3 डी अल्ट्रासाउंड गाइडेड सर्जरी का प्रयोग किया गया। अब तक के मेडिकल रिकार्ड के अनुसार दोनों जुड़वां बच्चे के जिंदा रहने की संभावना केवल 20 फीसदी ही होती है।

ऐसी सर्जरी पर कितना पैसा खर्च होता है...

डॉ, नीलम के अनुसार इन जुड़वा बच्चों की सर्जरी पर 2 लाख रुपए का खर्च आया। आम तौर पर ऐसी सर्जरी पर लगभग चार से पांच लाख रुपए का खर्च आता है। मेदांता हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ.नरेश त्रेहन ने यह कहा है कि जिन बच्चों के परिजनों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, उनके बच्चों के लिए ऐसे मामलों में विशेष रियायतें दी जाएंगी।


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