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रोशनी के इस पर्व पर सजग रहना भी है जरूरी

कुछ सुझावों पर अमल कर आप सुरक्षित और स्वस्थ रहकर दीपावली का भरपूर आनंद ले सकते हैं...

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 25 Oct 2016 03:30 PM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2016 03:40 PM (IST)
रोशनी के इस पर्व पर सजग रहना भी है जरूरी

जब बात दीपावली की हो, तो फिर पूजन के बाद आतिशबाजी चलाने की पुरानी परंपरा को खारिज नहीं किया जा सकता, लेकिन रोशनी और उल्लास के पर्व का आनंद तभी लिया जा सकता है, जब आप कुछ सजगताएं बरतें। इस तथ्य से तो आप वाकिफ होंगे कि आतिशबाजी चलाने में लापरवाही बरतने के कारण देश में सैकड़ों लोगों की जानें चली जाती हैं। तमाम लोग जल जाते हैं। वहीं दमा और हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों को भी कुछ सजगताएं बरतने की जरूरत है। कुछ सुझावों पर अमल कर आप सुरक्षित और स्वस्थ रहकर दीपावली का भरपूर आनंद ले सकते हैं...

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11 वर्षीय कृतिका को आतिशबाजी चलाने में अन्य बच्चों की तरह बहुत मजा आता है। पिछले साल दीवाली पर वह रॉकेट दाग रही थी, तब उसके चचेरे भाई जतिन ने कृतिका से कहा कि इसके ऊपर एक छोटा-सा डिब्बा रख दो। कृतिका ने वही किया। नतीजा यह हुआ कि डिब्बे के वजन के कारण राकेट जमीन पर ही दग गया। नतीजतन, कृतिका का दाहिना हाथ जल गया। कई दिनों तक वह स्कूल नहीं गयी। इलाज के बाद आज भी उसके हाथ में जलने के निशान देखे सकते हैं।

श्रीमती आशा और नवीन राय दंपत्ति को आतिशबाजी में बम और धमाकेदार आइटम अच्छे नहीं लगते। यह युगल शगुन के लिए फुलझडिय़ां चलाते हैं। बीते साल फुलझड़ी के साथ डांस करते समय एक चिंगारी नवीन की आंख में चली गयी थी। इस कारण उनकी रेटिना को नुकसान पहुंचा। त्योहार का रंग बदरंग हो गया। जैसे-तैसे उन्हें आई हॉस्पिटल ले जाया गया। बहरहाल अब उन्हें चश्मा लगाना पड़ रहा है। उपर्युक्त दोनों उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि है बच्चे हों या वयस्क इन सभी को आतिशबाजी बहुत सावधानी के साथ चलानी चाहिए, अन्यथा त्योहार का दिन बेरंग हो सकता है।

इन बातों पर करें अमल

- पटाखों और अन्य आतिशबाजी को खुले स्थान पर ही चलाना चाहिए।

- अधजले पटाखों में दोबारा आग न लगाएं। भले ही वह पूरी तरह न जला हो।

- बच्चों को हमेशा अपनी निगरानी में ही पटाखे जलाने दें।

- ये ध्यान रखें कि कोई भी सदस्य पटाखे जेब में न रखे क्योकि ये विस्फोटक होते हैं और बिना जलाए भी फट सकते हैं।

- धातु या शीशे की किसी चीज में पटाखे न जलाएं।

- ज्वलनशील चीजों के पास पटाखे न जलाएं जैसे लकड़ी और सूखी घास आदि।

- पानी या बालू भरी बाल्टी को आतिशबाजी वाले स्थान के पास ही रखें। फुलझड़ी छुड़ाने के बाद उसके तार को इधर-उधर फेंकने के बजाय इस बाल्टी में डालें या उन्हें एक कोने में रख दें।

- पटाखों और राकेट आदि के ऊपर कोई डिब्बा या वस्तु न रखें।

- फुलझड़ी, पटाखे और रोशनी करने वाली अन्य चीजों को चेहरे से दूर रखें।

- अनार और अन्य पटाखों को कभी भी हाथ में पकड़कर न चलाएं । ऐसा इसलिए, क्योंकि ये फट सकते हैं और दीपावली पर जलने की ज्यादातर घटनाएं इन्हीं से होती हैं।

जलने का प्राथमिक उपचार

- जले हुए स्थान से तुरंत कपड़ा हटाएं।

- जली हुई जगह पर शीतल जल डालें (पानी बहुत ठंडा नहीं होना चाहिए)।

साफ और शीतल पदार्थ से जली हुई जगह को 3 से 5 मिनट तक दबाएं (बर्फ का इस्तेमाल न करें क्योंकि उससे चोट को ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है)।

- मक्खन, चिकनाई, पावडर या अन्य इस तरह की कोई चीज न लगाएं क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

- यदि जला हुआ स्थान छोटा है, तो उस पर ढिलाई के साथ स्टेराइल पैड या पट्टी लगाएं।

तब लें शीघ्र डॉक्टर की मदद

- जब जलन का आकार बड़ा हो शीघ्र ही अस्पताल जाकर डॉक्टर से संपर्क करें।

- आग, बिजली की तार, सॉकेट और रसायन से जलने पर।

- चेहरे, सिर, हाथ और जोड़ों की सतह आदि में बर्न होने पर।

- जब जलने वाले भाग पर सूजन, पस पडऩा और लालिमा बढऩे जैसे लक्षण प्रकट हों।

विवेक शुक्ला

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