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ऐसे करें नजरों की हिफाजत

पटाखों आदि से आंख में जलने, चोट लगने या आतिशबाजी के छोटे टुकड़ों के आंख में पड़ जाने पर चिकित्सकीय सहायता मिलने तक निम्न प्राथमिक उपचार करें। याद रखें, समुचित रूप से किया गया प्राथमिक उपचार दुर्घटना के दुष्प्रभावों को सीमित कर सकता है। 1. घबराहट पर काबू रखें: यह न केव

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 02:31 PM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 02:31 PM (IST)
ऐसे करें नजरों की हिफाजत

पटाखों आदि से आंख में जलने, चोट लगने या आतिशबाजी के छोटे टुकड़ों के आंख में पड़ जाने पर चिकित्सकीय सहायता मिलने तक निम्न प्राथमिक उपचार करें। याद रखें, समुचित रूप से किया गया प्राथमिक उपचार दुर्घटना के दुष्प्रभावों को सीमित कर सकता है।

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1. घबराहट पर काबू रखें: यह न केवल कीमती समय नष्ट करती है, बल्कि अन्य दुर्घटनाओं को भी बुलावा देती है।

2. संपर्क व्यवस्था: निटकतम डॉक्टर व अस्पताल का इमरजेन्सी नंबर अपने और घर के अन्य सदस्यों के पास अवश्य रखें। दुर्घटना होने पर तुरंत संपर्क करें और शीघ्र अस्पताल पहुंचने का प्रयत्न करें।

3. ऐसा बिल्कुल न करें-

-आंख को मलिये/रगड़िये नहीं।

-नेत्र विशेषज्ञ के परामर्श के बगैर कोई दवा न डालें।

-आंख में अन्दर धंसी चीज को न निकालें।

-आतिशबाजी या बारूद के किसी कण या टुकड़े के आंख में चले जाने पर नेत्रों को धोते समय जबर्दस्ती आंख को खोलने की कोशिश न करें।

-आंखों के आस-पास कोई मलहम न लगाएं। इससे चिकित्सक को पलक खोलकर जांच में समस्या होगी।

-दर्द आदि की दवा खरीदने में समय न गंवाएं। जल्दी अस्पताल पहुंचना अधिक जरूरी है।

-जोखिम न उठाएं, किसी भी चोट को नजरअंदाज न करें। डॉक्टर से परामर्श लें।

क्या करें

-आंख छूने के पहले अपने हाथ अच्छी तरह साबुन से धो लें।

-आंख खुलवाकर सादे और साफ पानी से 5 से 10 मिनट तक धीमे प्रवाह से धोएं।

आंख में टुकड़े धंसे होने पर

-धोने आदि में समय बर्बाद न करें।

-आंख पर एक खाली प्लास्टिक कप रखकर टेप लगाकर या हाथ से रोक दें। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि आंख को दबाव और छुए जाने से बचाएं।

-आंख जल जाने पर सिर एक तरफ झुकाकर जली आंख को नीचे करें व पानी से 10 मिनट तक धोएं। पानी आंख के अंदर के कोने से बाहर की ओर डालें।

कब लें नेत्र-चिकित्सक से परामर्श

-कण आदि निकालने के बाद भी दर्द का बने रहना।

-आंखों में चुभन का बने रहना।

-नजर में कमी आना।

-कॉन्टैक्ट लैन्स लगाने में तकलीफ होना।

-दोहरा दिखना।

-आंख में दर्द होना, लाल होना और पानी आना।

(डॉ.दिलप्रीत सिंह, नेत्र रोग विशेषज्ञ)


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