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मानसून में सेहत को रखें दुरुस्त

बरसात में अन्य ऋतुओं की तुलना में जीवाणुओं और वायरस का प्रकोप बढ़ जाता है, हैंड हाइजीन पर ध्यान देकर आप इस मौसम में रोगों से बच सकते हैं...

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 30 Aug 2016 02:07 PM (IST)Updated: Tue, 30 Aug 2016 02:15 PM (IST)
मानसून में सेहत को रखें दुरुस्त

कहते हैं कि हेल्थ इज वेल्थ यानी स्वास्थ्य ही संपदा है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जहां समुचित खानपान, व्यायाम और विश्राम की जरूरत है, उसी तरह हैंड हाइजीन की भी जरूरत है।

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वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार संक्रामक बीमारियों (इंफेक्शस डिजीज) के होने का एक प्रमुख कारण अस्वच्छ हाथों से विभिन्न खाद्य पदार्र्थों को खाना है। वास्तव में बरसात में गंदगी और प्रदूषण अन्य ऋतुओं की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। इस कारण विभिन्न रोगों के जीवाणु (बैक्टीरिया) और वायरस का

प्रकोप बढ़ जाता है। इस कारण कई बीमारियों के होने का जोखिम बढ़ जाता है।

पेट की बीमारियां: बरसात में पेट की बीमारियों के होने का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। हाजमा खराब होना जैसे पेट में गैस बनना आदि समस्याएं बरसात के मौसम में ज्यादा होती हैं। आम तौर पर बच्चे से लेकर वयस्क तक इस मौसम में चटपटे, मसालेदार और चिकनाईयुक्त खान-पान को पसंद करते हैं। गर्म पकौड़े, चाट, समोसा जैसे खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ जाती है। अत्यधिक मात्रा में ऐसे खाद्य पदार्र्थों को खाने से हाजमा गड़बड़ हो जाता है।

पेचिश: यह रोग दस्त का ही एक रूप है। इसमें रोगी जब-जब मल त्याग करता है, तो उसके मल के साथ रक्त और चिपचिपा पदार्थ भी निकलता रहता है और रोगी को बार-बार शौच जाने की जरूरत महसूस होती है। पेट में मरोड़

के साथ दर्द होता है। भूख भी कम लगती है। कभी-कभी बुखार भी आ जाता है। इस बीमारी मे बड़ी आंत में घाव व सूजन हो जाता है। मरीजों को अधिक से अधिक तरल पदार्थ जैसे-ओ. आर.एस. युक्त पानी और नीबू का पानी देना

चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर ही एंटीबॉयोटिक का प्रयोग करना चाहिए।

हेल्थ एक्सपट्र्स के अनुसार हैंड हाइजीन से बरसात में होने वाली पेट की गड़बड़ी से संबंधित बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। जीवाणुनाशक साबुन से हाथ धोकर ही कोई खाद्य पदार्थ खाएं।

हेपेटाइटिस: लिवर की समस्या से सबंधित इस बीमारी के कई प्रकार (हेपेटाइटिस ए, बी. सी, डी और ई) होते हैं। वायरस जनित हेपेटाइटिस जैसे सी और ई को छोड़कर (हेपेटाइटिस डी भारत में नहीं होता) अन्य प्रकार के हेपेटाइटिस जैसे ए और बी आम तौर पर प्रदूषित खान-पान और अस्वच्छता से फैलते हैं। हेल्थ एक्सपट्र्स के अनुसार स्वच्छ और ताजे खाद्य पदार्र्थों का सेवन कर और हैंड हाइजीन के जरिये हेपेटाइटिस से बचाव किया जा सकता है।

सर्दी और बुखार: बरसात में भीगने से सर्दी और बुखार के मामले बढ़ जाते हैं। इस मौसम में चूंकि जीवाणुओं और वायरस का प्रकोप बढ़ जाता है। इसलिए वाइरल फीवर और इंफ्लूएंजा आदि बुखार के मामले बढ़ जाते हैं। विभिन्न प्रकार के बुखारों से बचाव के लिए पीडि़त व्यक्ति द्वारा स्पर्श की गयी वस्तुओं को छुएं नहीं

और जीवाणुनाशक साबुन से हाथ धोने के बाद ही किसी खाद्य पदार्थ का सेवन करें।

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