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बुजुर्गों की सेहत ऐसे रहेगी सलामत

अन्य लोगों की तुलना में सर्दियों के मौसम में बुजुर्गों (सीनियर सिटीजंस) को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कुछ ज्यादा ही सताती हैं। यह सच है कि बुजुर्गों के अलावा बच्चों और अन्य आयु वर्ग के लोग भी सेहत संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर सर्दियों में

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2015 03:09 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2015 03:13 PM (IST)
बुजुर्गों की सेहत ऐसे रहेगी सलामत

अन्य लोगों की तुलना में सर्दियों के मौसम में बुजुर्गों (सीनियर सिटीजंस) को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कुछ ज्यादा ही सताती हैं। यह सच है कि बुजुर्गों के अलावा बच्चों और अन्य आयु वर्ग के लोग भी सेहत संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर सर्दियों में होने वाली इन समस्याओं का निवारण किया जा सकता है...

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उत्तर भारत में सर्दियों का मौसम दस्तक दे चुका है। गुलाबी सर्दी के साथ कुछ बीमारियां भी आ सकती हैं। इनसे बचने के लिए कुछ सावधानियां जरूरी हैं। सर्दी से होने वाली बीमारियां दो वगों के लोगों को ज्यादा परेशान करती हैं। पहला, बच्चे और दूसरे बुजुर्ग। मौजूदा लेख में बुजुर्गों में इस मौसम में होने वाली कुछ आम बीमारियों के कारणों, लक्षणों और बचाव के तरीकों के बारे में जानकारियां दी गयी हैं। बुजुर्गों में इस मौसम में होने वाली कुछ बीमारियां इस प्रकार हैं- हृदय से संबंधित रोग, हाइपोथर्मिया, दमा, फ्लू और

चिलब्लेन।

हृदय से संबंधित रोग सर्दियों में बुजुर्गों में दिल से संबंधित ये परेशानियां बढ़ सकती हैं...

- उच्च रक्तचाप या हाई ब्लडप्रेशर होना

- हार्ट अटैक पडऩा।

- हार्ट फेल होना

लक्षण

1. कभी-कभी हो सकता है कि शुरुआत

में कोई भी लक्षण प्रकट न हों। सिर्फ जांच से ही हृदय संबंधी समस्याओं का पता चल सकता है।

2. सिरदर्द होना।

3. सांस फूलना,पैर में सूजन आना, लेटने पर

खांसी आना और सीने में दर्द होना।

उपाय

- नियमित जांच करवाएं और दवा लें।

- उपर्युक्त लक्षण प्रकट होने पर शीघ्र ही डॉक्टर

की सलाह लें।

- हृदय और गुर्दे के रोगी तरल पदार्थ की मात्रा

डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही लें।

हाइपोथर्मिया इसका मतलब है, शरीर का तापमान कम हो जाना।

बुजुर्ग और बच्चों के शरीर में गर्मी जल्दी बाहर आ जाती है। यदि उपयुक्त सावधानियां न बरती जाएं, तो वे हाइपोथर्मिया के शिकार हो सकते हैं।

लापरवाही बरतने पर यह समस्या जानलेवा हो

सकती है।

लक्षण

1. शरीर का ठंडा पड़ जाना।

2. बेसुध होना।

3. हृदय गति और सांस गति का धीमा पडऩा।

उपाय

- बाहर जाने के पहले उपयुक्त ऊनी कपड़े पहनें।

- एक या दो मोटे कपड़े पहनने के बजाए कई

लेयर वाले पतले कपड़े पहनें।

- बीमार, विकलांग या बुजुर्ग लोगों का खास ध्यान रखें। ये लोग कम्बल रजाई आदि का प्रयोग करें।

- ज्यादा ठंड में बाहर जाने से बचें।

- गर्म पेय पदार्थ का प्रयोग करें।

चलब्लेन

पैरों और हाथों की उंगलियों में ठंड लगना, उंगलियों का नीला या लाल होना और दर्द व खुजली होने को मेडिकल भाषा में चिलब्लेन कहते हैं। यह समस्या ज्यादातर सर्दियों में ही होती है। आप दस्ताने और जुराव का प्रयोग सर्दी के शुरुआती दौर से ही करें। कम सर्दी में सूती और ज्यादा सर्दी में सूती और ऊपर से ऊनी जुराव और दस्ताने पहनें। समस्या होने पर गर्म पानी से सिकाई करें। ध्यान रहे कि पानी ज्यादा गर्म न हो।

दमा तापमान में गिरावट, कोहरा, प्रदूषण या वाइरल इंफेक्शन के कारण, सर्दियों में सांस की समस्याएं ज्यादा होती हैं। इन समस्याओं में दमा (अस्थमा) प्रमुख है...

लक्षण

1. सांस फूलना।

2. सांस से सांय-सांय की आवाज आना

3. पीला या सफेद बलगम आना।

4. खांसी का बढ़ जाना।

5. रात को सो न पाना। सुस्ती आना।

उपाय

- दमा रोगी सर्दी की शुरुआत में डॉक्टर के पास जाकर अपनी दवा की मात्रा नए सिरे से निश्चित करवा लें, हो सकता है मौसम में बदलाव के साथ दवा की डोज बढ़ानी पड़े।

- गर्म कपड़े पहनें और सिर व कान को जरूर ढककर रखें।

- दवाएं नियमित रूप से लें।

- खाने में हल्दी, अदरक, तुलसी, काली मिर्च और केसर आदि का प्रयोग करें।

फ्लू

यह एक प्रकार के वाइरस से होने वाली बीमारी है।

लक्षण

1. तेज बुखार और बदन-दर्द।

2. सिर दर्द और गले में दर्द।

3. खांसी आना और कभी-कभी सांस लेने में समस्या।

उपाय

- मौसम में बदलाव से पहले हर साल फ्लू का टीका लगवाएं।

- तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

- बुखार और दर्द के लिए पैरासीटामॉल का प्रयोग करें।

- बीमार लोगों को घर पर रहकर आराम करना चाहिए, जब तक अति आवश्यक न हो सार्वजनिक जगह पर न जाएं।

- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें।

- साफ-सफाई का ध्यान रखें।

सर्दियों में बरतें सावधानियां

- धूप निकलने के बाद ही सैर करने जाएं। फिटनेस एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार व्यायाम करें।

- गर्म तरल पदार्थ जैसे चाय, दूध, और सूप का प्रयोग करें।

- डॉक्टर की सलाह से समय रहते फ्लू और निमोनिया का टीका लगवाएं।

- सांस, हृदय और किडनी के मरीज मौसम के बदलाव पर अपने डॉक्टर की सलाह लें और नियमित दवाएं लें। तरल पदार्थ की मात्रा की भी जानकारी लें।

- फ्लू जैसी संक्रामक बीमारी के दौरान घर में रहें ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके।

डॉ.सुशीला कटारिया, सीनियर फिजीशियन

मेदांता दि मेडिसिटी, गुडग़ांव


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