वेरिकोज वेन मेडिकल टेक्नोलॉजी अब उपलब्ध है आधुनिक उपचार
रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन (आरएफए) विधि के प्रचलन में आने से वेरिकोज वेन का इलाज अब काफी बेहतर हो चुका है...
वेरिकोज वेन बीमारी में पैर की नसें मोटी हो जाती हैं और पैरों में नसों के गुच्छे बन जाते हैं। अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज न कराया जाए, तो यह बीमारी वेरिकोज अल्सर (घाव) में बदल जाती है। इन दिनों ऐसे युवक-युवतियों में भी वेरिकोज वेन का खतरा बढऩे लगा है,जो तंग जीन्स पहनते हैं।
कारण समझें
जो लोग देर तक या लंबे वक्त तक खड़े होकर काम करते हैं, वे वेरिकोज वेन के कुछ ज्यादा ही शिकार होते हैं। इसके अलावा मोटापा, व्यायाम का अभाव आदि कारणों से यह मर्ज उत्पन्न हो सकता है।
ये हैं लक्षण
वेरिकोज वेन दोनों टांगों में हो सकता है। इस मर्ज में टांगों में खून ले जाने वाली नसों के वाल्ब खराब हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप नसों में खून जमा होने लगता है। इस वजह से पैरों में सूजन दर्द, थकान महसूस होना, त्वचा का बदरंग होना और खुजलाहट जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
यह है पुराना इलाज
वेरिकोज वेन में वेन स्ट्रिपिंग जैसी बड़ी सर्जरी की जाती थी। इस विधि में पूरी नस को काटकर निकाल दिया जाता है। सर्जरी के बाद पैर में भद्दा निशान पड़ जाता है। यही नहीं, उपचार के बाद मरीज को लम्बे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है।
नया इलाज जानें
रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन (आरएफए) वेरिकोज वेन के उपचार की एक आधुनिक तकनीक है। इस तकनीक में चीरा नहीं लगाया जाता है। मरीज को तेजी से स्वास्थ्य लाभ होता है। इस विधि में एक पतली सुई के जरिये से ऊष्मा ऊर्जा के द्वारा मोटी और फूली हुई नसों को जला दिया जाता है। उपचार के अगले दिन से मरीज अपने काम पर जा सकता है। इस विधि में चीरा नहीं लगता है। यहीं नहीं, मरीज का स्वास्थ्य लाभ तेजी से होता है और उपचार के बाद दोबारा वेरिकोज बनने की आशंकाएं बहुत कम होती हैं।
डॉ. प्रवीन कुमार
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट