प्रजनन क्षमता पर टी.बी. का वार होगा बेकार
टी.बी. रोग के जीवाणु जब प्रजनन मार्ग में पहुंच जाते हैं, तब इसे जेनाइटल टी.बी. या पेल्विक टी.बी. कहा जाता है। यह स्थिति वैवाहिक युगलों को बेऔलाद बना सकती है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर इस स्थिति से उबरा जा सकता है...
टी.बी. रोग के जीवाणु जब प्रजनन मार्ग में पहुंच जाते हैं, तब इसे जेनाइटल टी.बी. या पेल्विक टी.बी. कहा जाता है। यह स्थिति वैवाहिक युगलों को बेऔलाद बना सकती है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर इस स्थिति से उबरा जा सकता है...
माइकोबैक्टीरियम ट्युबरक्युलोसिस नामक जीवाणु टी.बी. रोग का कारण है। देश में प्रतिवर्ष लगभग
बीस लाख से अधिक लोगों को यह जीवाणु
प्रभावित करता है। गौरतलब है कि टी.बी. रोग प्रमुख रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन अगर इसका समय रहते उपचार न कराया जाए, तो यह रक्त के द्वारा शरीर के दूसरे भागों को भी संक्रमित करता है।
कई अंगों में संक्रमण टी.बी. का यह संक्रमण
किडनी, फैलोपियन ट्यूब्स, गर्भाशय और मस्तिष्क तकको प्रभावित कर सकता है।
टी.बी. एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, क्योंकि जब
टी.बी. के जीवाणु-माइको बैक्टीरियम प्रजनन मार्ग में
पहुंच जाते हैं, तब जेनाइटल टी.बी. या पेल्विक टीबी हो जाती है। ऐसी टी.बी. महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही बेऔलाद होने का कारण बन सकती है।
गर्भाशय पर कुप्रभाव
महिलाओं में टीबी के कारण जब गर्भाशय में संक्रमण हो जाता है, तब गर्भाशय की सबसे अंदरूनी पर्त पतली हो जाती है।
नतीजतन गर्भ या भ्रूण के ठीक तरीके से विकसित होने में बाधा आती है। टी.बी. से पीडि़त हर दस महिलाओं में से दो गर्भधारण नहीं कर पातीं। जननांगों की टी.बी. के 40 से 80 प्रतिशत मामले महिलाओं में देखे जाते हैं। जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तब
बैक्टीरिया वायु में फैल जाते हैं और जब हम सांस लेते हैं तब ये हमारे फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं। संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाना भी जननांगों की टी.बी. होने का एक कारण है। समय
रहते जननांगों से पीडि़त महिला का अगर समुचित उपचार नहींकिया गया, तब यह मर्ज लाइलाज हो सकता है। ऐसी स्थिति में महिला की प्रजनन क्षमता क्षीण हो जाती है।
लक्षण
जननांगों की टी.बी. से पीडि़त महिलाओं में
ये लक्षण सामने आ सकते हैं...
- अनियमित माहवारी होना।
- योनि से रक्तस्राव होना।
- शारीरिक संबंधों के बाद दर्द होना।
ध्यान दें, अनेक मामलों में ये लक्षण
संक्रमण काफी बढ़ जाने के बाद ही सामने
आते हैं।
चिंताएं हैं बेबुनियाद
आमतौर पर महिलाएं चिंता करती हैं कि
क्या टी.बी. होने के बाद वह मां बन सकेंगी
या नहीं, लेकिन उचित उपचार के बाद उन्हें
गर्भधारण करने में कोई समस्या नहीं आती
है। टी.बी. का पता लगने के बाद टी.बी.
रोधक दवाओं से तुरंत उपचार प्रारंभ कर
देना चाहिए ताकि और अधिक जटिलताएं
न हों। अंत में संतानोत्पत्ति के लिए इनविट्रो
फर्टिलाइजेशन या इंट्रासाइटोप्लाज्मिक
स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) की
सहायता लेनी पड़ती है।
खान-पान पर ध्यान
उन वयस्कों में टी.बी. का संक्रमण जल्दी फैलता है,
जो कुपोषण के शिकार होते हैं, क्योंकि इनकी रोग
प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए उपचार के
दौरान खानपान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता
है। ऐसे लोगों को जंक फूड्स से परहेज करना
चाहिए।
किसी भी किस्म की शराब से परहेज
करें। मांस और मीठे खाद्य पदार्र्थों से
परहेज करना भी लाभप्रद है। चिकनाईयुक्त
पदार्थ न खाएं और साबुत अनाज का
प्रयोग करें। इसके अलावा भोजन में हरी
पत्तेदार सब्जियों और फलों को वरीयता
देना चाहिए। डॉक्टर से सलाह लेकर
आयरन के सप्लीमेंट लिए जा सकते हैं।
डॉ.अरविंद वैद आईवीएफ स्पेशलिस्ट
इंदिरा इनफर्टिलिटी क्लीनिक, नई दिल्ली