आतिशबाजी से बचाएं अपनी आंखें व चेहरा
दिवाली रोशनी का त्योहार है, इसलिए इसे दीये व मोमबत्ती जलाकर मनाएं। त्योहार की उमंग में आतिशबाजी के दौरान थोड़ी सी लापरवाही से आंखों की रोशनी जा सकती है। इसके अलावा इससे त्वचा संबंधी बीमारियां होने का भी डर बना रहता है। ऐसे में दिवाली के दिन आतिशबाजी पर्यावरण में प्रदूषण का ऐसा जहर घोलती है जो स्वा
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिवाली रोशनी का त्योहार है, इसलिए इसे दीये व मोमबत्ती जलाकर मनाएं। त्योहार की उमंग में आतिशबाजी के दौरान थोड़ी सी लापरवाही से आंखों की रोशनी जा सकती है। इसके अलावा इससे त्वचा संबंधी बीमारियां होने का भी डर बना रहता है। ऐसे में दिवाली के दिन आतिशबाजी पर्यावरण में प्रदूषण का ऐसा जहर घोलती है जो स्वास्थ्य के लिए घातक है। पटाखों के कारण अक्सर दुर्घटनाएं सामने आती हैं। सफदरजंग अस्पताल के बर्न विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह देखा गया है कि अनार बम से सबसे अधिक हादसे होते हैं। करीब 70 फीसद लोगों का चेहरा इसकी चपेट में आता है। ऐसे में आंखें प्रभावित होने का खतरा सबसे अधिक रहता है। डॉक्टरों का कहना है कि दिवाली के दिन आतिशबाजी के चलते जख्मी हुए कई ऐसे मरीज भी इलाज के लिए पहुंचते हैं, जिनकी आंखों में पटाखों के कण जाने के कारण जलन होने लगती है। पटाखों के धुएं से कार्बन डाइआक्साइड, मोनो आक्साइड व सल्फर डाइआक्साइड जैसी जहरीली गैस निकलती हैं। इससे आंखों में एलर्जी हो जाती है और जलन महसूस होती है।
कहीं काला न पड़ जाए चेहरा
-डॉक्टरों के अनुसार देखा गया है कि पटाखों के धुएं व इसके मसाले के चलते चेहरे पर काला दाग बन जाता है। यह तीन से चार महीने तक रहता है। इसके अलावा पटाखों के प्रदूषण के चलते एक्जिमा पीड़ितों की बीमारी बढ़ जाती है और शरीर में खुजली होने लगती है। कई बार सामान्य व्यक्ति को भी यह परेशानी हो सकती है। यदि किसी बुजुर्ग व्यक्ति की त्वचा शुष्क है तो उसे एलर्जी हो जाती है।
पटाखों के प्रभाव से कई बार बालों का रंग भी भूरा या सफेद दिखने लगता है। पटाखे त्वचा के लिए खतरनाक होते हैं। इसलिए आतिशबाजी से दूर रहें।
(डॉ. विनय सिंह, त्वचा रोग विशेषज्ञ, मैक्स)