Move to Jagran APP

बारिश में रोग न बरसें

बरसात के मौसम का लुत्फ तभी उठा सकते हैं, जब आप इस ऋतु में कुछ ज्यादा होने वाली बीमारियों से बचें रहें। बारिश के मौसम में त्वचा और कान से संबंधित कुछ समस्याएं पैदा हो सकती है, लेकिन कुछ सुझावों पर अमल कर आप इस मौसम में स्वस्थ बने रह सकते हैं.. त्वचा की बीमारियों स

By Edited By: Published: Tue, 19 Aug 2014 11:45 AM (IST)Updated: Tue, 19 Aug 2014 11:45 AM (IST)
बारिश में रोग न बरसें

बरसात के मौसम का लुत्फ तभी उठा सकते हैं, जब आप इस ऋतु में कुछ ज्यादा होने वाली बीमारियों से बचें रहें। बारिश के मौसम में त्वचा और कान से संबंधित कुछ समस्याएं पैदा हो सकती है, लेकिन कुछ सुझावों पर अमल कर आप इस मौसम में स्वस्थ बने रह सकते हैं..

loksabha election banner

त्वचा की बीमारियों से रहें सजग

बरसात के मौसम में नमी और गर्मी के कारण त्वचा संबंधी बीमारियों के मामले बढ़ जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख बीमारियां हैं..

1. रिंग वॉर्म: यह फंगस से होने वाली बीमारी है, जो ज्यादातर बगल, जांघों और कमर पर अपना दुष्प्रभाव छोड़ती है।

2. एथलीट्स फुट: यह पैरों के गीला होने पर फंगस और जीवाणुओं के संक्रमण से होती है।

3. प्रिकली हीट (घमौरियां): यह स्वेट ग्लैंड (पसीना लाने वाली ग्रंथि) के बंद होने से उत्पन्न होती है।

4. स्कैबीज-(माइट्स): यह अधिकतर भीड़ वाले स्थानों में रहने पर फैलती है। हॉस्टल और घरों में एक साथ कई लोगों को यह रोग हो सकता है। इस रोग का कारण स्किन माइट्स है।

5. कील मुंहासे: त्वचा से ज्यादा पसीने और तेल जैसा पदार्थ निकलने से और उस पर बैक्टारिया का संक्रमण होने से मानसून में मुंहासों की समस्या बढ़ जाती है।

त्वचा रोगों के सामान्य लक्षण

-त्वचा पर लाल या सफेद निशान।

-खुजली होना।

-त्वचा से बदबू आना।

-दर्द होना।

-घाव होना।

-मवाद आना।

जटिलताएं

-त्वचा रोग दूसरे लोगों में फैलता है।

-त्वचा पर निशान पड़ना।

-शरीर में एलर्जी होना।

इलाज

-एंटी एलर्जिक दवा लेना।

-डॉक्टर की सलाह से एंटीबॉयटिक या एंटी फंगल दवा का सेवन करना।

बचाव

-गीले कपड़े खासतौर पर अंदरूनी वस्त्रों को जल्दी बदल लें।

-बंद जूतों के बजाए खुले सेंडल या चप्पलें पहनें।

-बालों को गीला न बांधें। ड्रायर का ज्यादा प्रयोग बालों के लिए ठीक नहीं है।

-6 से 8 गिलास पानी अवश्य पिएं।

-रोज स्नान करें और चिकनाई दूर करने के लिए चेहरे को साबुन या फेसवाश से दो बार जरूर धोएं।

-साफ-सफाई का ध्यान दें और अपने निजी वस्त्र और तौलिया आपस में इस्तेमाल न करें।

कानों की अनदेखी ठीक नहीं

बरसात का मौसम कानों के लिए आम तौर पर खराब होता है। कान के बाहरी भाग (एक्सटर्नल ईयर) में जीवाणु और फफूंदी (फंगल) के संक्रमण बारिश के मौसम में बढ़ जाते हैं। वहीं कान के बीच वाले भाग (मिडिल ईयर) में ओटाइटिस मीडिया नामक आदि संक्रमण भी बढ़ जाते हैं।

इन बातों पर दें ध्यान

1. कान की पुरानी बीमारियां जो अन्य मौसमों में दबी (इनएक्टिव) रहती हैं, वे भी मानसून के मौसम में परेशान करने लगती हैं।

2. तमाम लोग बरसात के मौसम में भी तैराकी करते हैं। इस कारण दूषित पानी के कान में जाने से कान की बीमारियां काफी बढ़ जाती हैं।

3. इस मौसम में बारिश में भींगने या फिर वातावरण में नमी होने से जुकाम और गला खराब होने की आशंकाएं काफी बढ़ जाती हैं।

बचाव के उपाय

-नहाते समय कान में रुई लगाकर पानी जाने से बचाएं।

-कान को ज्यादा साफ न करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे कान की त्वचा में चोट लगने और इसके बाद संक्रमण होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।

-बरसात के मौसम में ठंडे पदार्र्थो के अधिक सेवन से बचना चाहिए।

-जुकाम या गला खराब होने पर शीघ्र ही इलाज कराएं।

-तैराकी के समय ईयर प्लग का इस्तेमाल करना चाहिए।

उपर्युक्त सुझावों पर अमल करने से बारिश के मौसम में कान से संबंधित बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है।

(डॉ.सुशीला कटारिया सीनियर फिजीशियन, मेदांता दि मेडिसिटी, गुड़गांव)

पढ़ें:अब हाथ-पैर रहेंगे सलामत


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.