..ताकि आंखों को न पहुंचे नुकसान
सही तरह से किया गया प्राथमिक उपचार दुर्घटना के दुष्प्रभावों को सीमित कर सकता है.. सम्पर्क व्यवस्था: निकटतम डॉक्टर व अस्पताल का इमर्जेन्सी नम्बर अपने और घर के अन्य सदस्यों के पास अवश्य रखें। ऐसा बिल्कुल न करें -आंख को मलिये/रगड़िये नहीं। -डॉक्टर के परामर्श के बगैर कोई दवा न डाल्
सही तरह से किया गया प्राथमिक उपचार दुर्घटना के दुष्प्रभावों को सीमित कर सकता है..
सम्पर्क व्यवस्था: निकटतम डॉक्टर व अस्पताल का इमर्जेन्सी नम्बर अपने और घर के अन्य सदस्यों के पास अवश्य रखें।
ऐसा बिल्कुल न करें
-आंख को मलिये/रगड़िये नहीं।
-डॉक्टर के परामर्श के बगैर कोई दवा न डालें।
-आंख में अन्दर धंसी चीज को न निकालें।
-रासायनिक चोट के मामलों में आंख को धोते समय जबरदस्ती आंख को न खोलें।
-आंख के आस-पास कोई मलहम न लगाएं। इससे चिकित्सक को पलक खोलकर जांच करने में समस्या होगी।
क्या करें
-आंख में कण या रसायन आदि पड़ जाने पर
-आंख छूने के पहले हाथ अच्छी तरह से धो लें।
-आंख खुलवाकर सादे और साफ पानी से 5-10 मिनट तक धीमे प्रवाह से धोएं।
-आंख में टुकड़े धंसे होने पर
-धोने आदि में समय न बर्बाद करें।
-आंख पर एक खाली प्लास्टिक कप रखकर टेप/ हाथ से रोकदें। हमारी कोशिश होनी चाहिये कि आंख को दबाव व छुए जाने से बचाएं।
-आंख जल जाने पर सिर एकतरफ झुकाकर जली आंख को नीचे करें व पानी से 10 मिनट तक धोएं। पानी आंख के अन्दर के कोने से बाहर की ओर डालें।
कब लें नेत्र-चिकित्सक से परामर्श
-कण आदि निकलने के बाद भी आंखों में दर्द, खड़कन, चुभन आदि का बने रहना।
-नजर में कमी आना।
-कॉन्टैक्ट लैंस लगाने में तकलीफ होना।
-दोहरा दिखना।
-आंख में दर्द होना, लाल होना और पानी आना।
(डॉ. दिलप्रीत सिंह नेत्र सर्जन)
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