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स्वाइन फ्लू का आयुर्वेद में आसान उपचार

आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि स्वाइन फ्लू से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। इसका कारगर इलाज घर-घर में मौजूद है। थोड़ी सी सतर्कता बरतने, आदतों में सुधार और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर इस रोग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 20 Feb 2015 11:12 AM (IST)Updated: Fri, 20 Feb 2015 11:15 AM (IST)
स्वाइन फ्लू का आयुर्वेद में आसान उपचार

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि स्वाइन फ्लू से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। इसका कारगर इलाज घर-घर में मौजूद है। थोड़ी सी सतर्कता बरतने, आदतों में सुधार और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर इस रोग पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।

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आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद में स्वाइन फ्लू का जो उपचार है उसके लिए व्यक्ति को किसी डॉक्टर के पास भी जाने की जरूरत नहीं है। वह इसे घर पर ही तैयार कर सकता है। इसके उपचार में इस्तेमाल होने वाली नीम, लौंग, दालचीनी, गिलोय और तुलसी आम भारतीय घरों की रसोई में उपलब्ध रहते हैं। इसके निश्चित मात्रा में बने मिश्रण से तैयार काढ़े का सेवन करने से न सिर्फ इस बीमारी से बचा जा सकता है, बल्कि इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति को पूर्णत: स्वस्थ भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्वाइन ïफ्लू के उपचार को 100 ग्राम नीम, 100 ग्राम गिलोय, 50 ग्राम तुलसी पत्ता, 25 ग्राम लौंग और 50 ग्राम दालचीनी को लेकर इन्हें आपस में मिला कर इनका पाउडरनुमा मिश्रण तैयार कर लें। इसके बाद इस मिश्रण के 5 ग्राम भाग को लेकर 400 मिलीलीटर स्वच्छ पानी में तब तक पकायें जब तक कि वह 100 मिलीलीटर रह जाए। इसके बाद इसे ठंडा कर बंद बोतल में रख लें। तैयार काढ़े को तीन बराबर भागों में विभक्त कर सुबह, दोपहर और शाम नियमित सेवन करने से स्वाइन फ्लू का खतरा नहीं रहता है। उनका दावा है कि स्वाइन फ्लू से पीडि़त व्यक्ति इसका लगातार सेवन करने से जल्द स्वस्थ हो जाता है। बच्चों को यह मात्रा छह बराबर भागों में विभक्त कर देना लाभप्रद रहेगा। हालांकि स्वाइन फ्लू प्रभावित बच्चे को बड़ों के बराबर ही खुराक देना लाभप्रद रहता है।

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