रनिंग से रहें फिट
अगर कुछ रोगों और मेडिकल कंडीशन को छोड़ दें, तो रनिंग वह एक्सरसाइज है, जो न सिर्फ तन, बल्कि मन को भी ऊर्जावान बनाती है। व्यस्त दिनचर्या में इसे शामिल कर खुद को फिट रखा जा सकता है।
दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल के डॉ. रमणिक महाजन को जिम में चोट लग गई थी। उन्हें घुटने का ऑपरेशन कराना पड़ा। फिर भी तकलीफ नहीं गई। तब उन्होंने सुबह दौड़ना शुरू किया। आज दौड़ना उनकी दिनचर्या का अभिन्न अंग बन चुका है। सच तो यह है कि अगर रनिंग को दिनचर्या का अंग बना लें, तो हम सभी काफी हद तक स्वस्थ रह सकते हैं।
पूरे दिन रहें ऊर्जावान
मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल एन्ड रिसर्च सेंटर में कंसल्टेंट ऑन्कोलॉजिस्ट 52 वर्षीय डॉ. महेंद्र नावड़े के अनुसार रोजाना करीब साढ़े चार से छह किलोमीटर की उनकी जॉगिंग-रनिंग बमुश्किल छूटती है। इस क्रम में वह कहते हैं, ‘रनिंग से मुझे कभी हार न मानने की सीख मिली है। एक प्रतिबद्धता और आत्मविश्वास जाग्रत हुआ। जब भी मैं चलता या दौड़ता हूं, तो मन में शक्ति का संचार होता है। इससे पूरे दिन ऊर्जावान रह पाता हूं। मेरी राय है कि रनिंग बेहतरीन एक्सरसाइज है रनिंग में हाथ-पांव दोनों की मूवमेंट होती है। यह
एक बेहतरीन कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज है। इससे मस्तिष्क में रक्त का सही संचार होता है। आप पर्याप्त नींद लेते हैं। ठीक से भोजन कर पाते हैं।’
बर्न होती है कैलोरी
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की गाइडलाइन्स के अनुसार, एक स्वस्थ व्यक्ति को हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट या फिर हर दिन 30 मिनट तक चलना चाहिए। नई दिल्ली स्थित एक्टिव ऑर्थो के क्लीनिकल डायरेक्टर डॉ. राणा के. चेंगप्पा बताते हैं, ‘चलने की बजाय दौड़ने से अधिक कैलोरी और फैट बर्न होते हैं। हालांकि किसी एक एक्सरसाइज को सर्वश्रेष्ठ कहना भी गलत होगा। यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वह क्या करना चाहता है।’ परामर्श जरूर लें डॉ. राणा के. चेंगप्पा का कहना है, ‘‘अगर किसी के घुटने में ऑस्टियोअर्थराइटिस की समस्या है, लेकिन वजन अधिक नहीं है, तो वह अपनी दिनचर्या में दौड़ को शामिल कर सकता है।
अधिक वजन वाले स्विमिंग और साइक्लिंग से शुरुआत कर, रनिंग को अपना सकते हैं। कई ऐसे धावक हैं, जो हल्के अर्थराइटिस के बावजूद मजबूत मांसपेशियों और सही बॉडी वेट की वजह से लंबी दूरी की रेस में हिस्सा लेते हैं। रनिंग के लिए मांसपेशियों की स्थिति बेहतर होनी चाहिए। हालांकि दौड़ना किसके लिए अच्छा है और किसके लिए नहीं, यह व्यक्ति की मेडिकल कंडीशन पर निर्भर करता है। जिन्हें हृदय संबंधी कोई रोग और ज्वाइंट्स में कोई तकलीफ हो, वे दौड़ने से परहेज करें या फिर डॉक्टर से परामर्श लें।’’
मेडिटेशन की तरह है रनिंग
आयरनमैन टाइटल विजेता अभिषेक मिश्रा कहते हैं, ‘‘रनिंग से शरीर में ऐसे हॉर्मोन्स का स्राव होता है, जो बॉडी और माइंड के स्ट्रेस लेवल को कम करते हैं। मेरे लिए यह मेडिटेशन की तरह है। इसने मुझे स्वयं पर विश्वास करना सिखाया है। इसी ने मुझे सात महीने के अंतराल में दो बार आयरमैन ट्राइथेलॉन में शामिल होने का भी हौसला दिया। अब मुझे फ्लोरिडा में होने वाले अल्ट्रामैन प्रतियोगिता के लिए आमंत्रित किया गया है।’’
प्रस्तुति-अंशु सिंह
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