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स्पाइनल ट्यूमर्स : इलाज हुआ आसान, ये हैं विकल्‍प

रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर एक गंभीर समस्या है। इसका सही समय पर उचित इलाज न किया जाए, तो यह लकवा का कारण बन सकता है।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 02:58 PM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 03:23 PM (IST)
स्पाइनल ट्यूमर्स : इलाज हुआ आसान, ये हैं विकल्‍प
स्पाइनल ट्यूमर्स : इलाज हुआ आसान, ये हैं विकल्‍प

ट्यूमर्स कई प्रकार के होते हैं और उनके इलाज भी भिन्न-भिन्न हैं। कई प्रकार के ट्यूमर्स के ठीक होने की संभावना आज कुछ वर्ष पूर्व के मुकाबले कहीं अधिक है। ट्यूमर्स नियोप्लाज्म नामक नए टिश्यूज की अस्वाभाविक वृद्धि हैं। सामान्यत: नियोप्लाज्म टिश्यूज दो तरह के होते हैं, बिनाइन (जो कैंसरग्रस्त नहीं होते) या मैलिग्नेंट (जो कैंसरग्रस्त होते हैं)। किसी अन्य अंग से फैलने वाला कैंसर मेटास्टेसिस ट्यूमर हो सकता है।

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ऐसे पहचानें
- पीठ और टांगों का दर्द हो सकता है।
- टांगों या बांहों में कमजोरी होना और इनमें सुन्नपन महसूस करना।
- सियाटिका की समस्या और आंशिक रूप से लकवा लगना।
- मल-मूत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जांच और इमेजिंग तकनीक एम.आर. आई. जांच से पता चलता है कि ट्यूमर तंत्रिकाओं (नव्र्स) पर कहां-कहां दबाव डाल रहा है। इसके अलावा सी. टी. स्कैन, टेक्नीशियम बोन स्कैन, सी.टी. गाइडेड बायोप्सी या एफएनएसी द्वारा ट्यूमर की जांच की जाती है। इसके अलावा पेट स्कैन जांच से कैंसर की विभिन्न अवस्थाओं (स्टेज) का पता लगाना संभव है।

उपचार के विकल्प
इलाज इस बात पर निर्भर होता है कि ट्यूमर का प्रकार (बिनाइन या है या मैलिग्नेंट या कैंसरस), कैसा है, उसकी अवस्था कैसी है। मरीज की संभावित उम्र और उसका सामान्य स्वास्थ्य कैसा है। इन सभी बातों के मद्देनजर उपचार की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाती है।

स्पाइनल ट्यूमर सर्जरी: यदि ट्यूमर तंत्रिका (नर्व्‍स) पर दबाव न डाल रहा हो, इस स्थिति में पर्क्‍यूटेनियस स्टेबिलाइजेशन तकनीक से सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी द्वारा चिकित्सा की जाती है। यदि ट्यूमर तंत्रिका पर दबाव डाल रहा हो,तो इस स्थिति में सबसे पहले दबाव हटाने के लिए सर्जरी द्वारा ट्यूमर को निकाला जाता है। इसके बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी जाती है।

कीमोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि में बाधा डालकर उन्हें नष्ट करने वाली दवाओं के प्रयोग से कैंसर का इलाज और नियंत्रण किया जाता है।

रेडिएशन थेरेपी: आज रेडियोथेरेपी की सबसे सुरक्षित तकनीक लीनियर एक्सेलेटर उपलब्ध है, जो स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बगैर ट्यूमर की कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। त्रि-आयामी (3 डी) इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी द्वारा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करके, ट्यूमर को छोटा करके उसका बढ़ना रोका जाता है।

- डॉ. स्वरूप पटेल, स्पाइन एन्ड ऑर्थो-ऑनकोलॉजिस्ट

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