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धुआं धुआं न हो जिंदगी

वायु प्रदूषण के बीच ठंड के मौसम की दस्तक ने जन्म दिया है स्मॉग की गंभीर समस्या को। इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए यह भली प्रकार समझना जरूरी है कि स्मॉग आखिर है क्या और किस तरह सुनिश्चित किया जा सकता है इस समस्या का हल

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 15 Nov 2016 11:28 AM (IST)Updated: Tue, 15 Nov 2016 11:36 AM (IST)
धुआं धुआं न हो जिंदगी

स्मॉग शब्द का प्रयोग पहली बार 1905 में डॉ. हेनरी एंटोनी ने अपने एक आर्टिकल में किया था, जो स्मोक और फॉग को जोड़कर बनाया गया था। स्मॉग धुएं की एक परत है, जो हमारी धरती को घेर लेती है। दीपावली के बाद हमने देखा कि दिल्ली और उसके आसपास के इलाके को स्मॉग की चादर ने ढंक लिया है। यह एक तरह का वायु प्रदूषण है।

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आखिर क्या होता है स्मॉग में

स्मॉग में हानिकारक गैसें व तत्व जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर के कण, नाइट्रोजन ऑक्साइड, आधे जले पेट्रोलियम पदार्थ, जमीन के आसपास की ओजोन, धूल कण और कई जहरीले केमिकल्स मौजूद रहते हैं।

स्मॉग का स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव

स्मॉग में मौजूद हानिकारक तत्व हमारे स्वास्थ्य केलिए अत्यंत नुकसानदेह हैं।

- इससे बच्चों और बुजुर्र्गों को सांस की बीमारियां सबसे ज्यादा परेशान करती हैं।

- दमे और ब्रांकाइटिस की समस्या बढ़ जाती हैं। लोगों को खांसी, छींक, सांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द की शिकायत होती है।

- आंखों में जलन और सिरदर्द होता है।

- रक्तचाप बढ़ जाता है।

- ज्यादा समय तक इसके प्रभाव में रहने से गर्भवती महिलाओं को सामान्य से कम वजन के बच्चे पैदा होते हैं।

- स्मॉग या प्रदूषण से कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। एक आंकड़े के मुताबिक दिल्ली शहर में हर

साल लगभग 11 हजार लोग प्रदूषण के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। इस संबंध मसही समय पर समुचित प्रयास जरूरी हैं। अगर आज कदम नहीं उठाया गया तो स्मॉग सेहत पर भारी पड़ेगा।

बचाव के तरीके

स्मॉग से बचने के लिए सरकार व व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर काम करना जरूरी है।

व्यक्तिगत स्तर पर

- लोगों को पटाखे व आतिशबाजी जलाने से बचना चाहिए।

- चिकित्सकों द्वारा अनुमोदित मास्क को भी लगातार 4-6 घंटे के लिए ही प्रयोग में लाएं। प्रयोग किए गए मास्क को ठीक से डिस्पोज ऑफ करें। उसे इधर-उधर उडऩे के लिए न छोड़ें।

- जब बाह्य प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ हो तो घर के बाहर निकलने से बचना चाहिए।

- अच्छी क्वालिटी के मास्क का इस्तेमाल थोड़े समय के बचाव के लिए किया जा सकता है। एक ही मास्क को बार-बार प्रयोग करने से बचें।

- बुर्जुगों, बच्चों और बीमारी से पीडि़त लोगों को फ्लू से बचने के लिए टीकाकरण कराना चाहिए।

सरकारी स्तर पर

- वाहनों की संख्या और उससे निकलने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण करें।

- इंडस्ट्री पॉल्यूशन, फसलों और कूड़े को जलाने पर भी रोक लगाना जरूरी है।

स्मॉग का कारण

- वाहनों का धुआं, जिसमें कई जहरीली गैसें होती हैं।

- उद्योगों का कचरा।

- आसपास के इलाकों में फसल और कूड़ा जलाने से उठा धुंआ।

- धूल कण, जो लगातार चल रहे निर्माण कार्र्यों के कारण वायुमंडल में फैल जाते हैं। उपरोक्त सभी तत्व व गैसें सर्दी के मौसम में मध्यम तापमान रहने के कारण धरती के पास ही जम जाते हैं और स्मॉग बनाते हैं।

वायु प्रदूषण को मापने के तरीके

स्मॉग की तीव्रता को मापने के लिए कई पैमाने अपनाए जाते हैं।

- दृश्यता (विजिबिलिटी) को मापने के लिए ऑप्टिकल इंस्ट्रूमेंट (जैसे नेफ्लोमीटर) का प्रयोग किया जाता है।

- पॉल्यूशन के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स या एयर पॉल्यूशन इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है।

- कणों के लिए एसपीएम की मात्रा देखी जाती है।

स्मॉग दुनिया के सभी हिस्सों में होता है, पर इस समय दिल्ली इस समस्या से सबसे ज्यादा ग्रस्त

है। लंदन, न्यू यॉर्क, बीजिंग, मेक्सिको आदि शहर भी समय-समय पर स्मॉग की चपेट में आते

रहते हैं।

डॉ. सुशीला कटारिया वरिष्ठ फिजीशियन

मेदांता दि मेडिसिटी, गुडग़ांव

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