जिंदगी को फिट रखने की दौड
कुछ लोग शहरी लाइफस्टाइल के इस भागदौड़ के तनाव को दूर करने के लिए खुद तो दौड़ ही रहे हैं औरों को भी प्रेरित कर रहे हैं। ऐसी ही रनर हैं तनुजा सोढ़ी। गुरुग्राम निवासी तनुजा सोढ़ी ने फिटनेस के मायने ही बदल दिए।
तनुजा ने कुछ वर्षों पहले समाज के हर वर्ग को एक मंच पर लाकर फिटनेस दौड़ की शुरुआत की थी जिससे सैकड़ों की संख्या में लोग जुड़े। तनुजा लगभग छह वर्षों से लोगों को ‘रनदिवाज’ के तहत वर्किंग व रनिंग के लिए प्रेरित करती हैं। समाज के प्रति उनके इस योगदान के लिए उन्हें इंदिरा गांधी सेंटर फॉर आट्र्स में सावित्री फुले एक्सीलेंस अवार्ड दिया गया। यह अवार्ड उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सेवा संघ के पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने दिया। इसके पहले उन्हें लगातार दो वर्षों तक एनसीआर में मैराथन में रनर आफ द ईयर का अवर्ड भी मिल चुका है।
स्वस्थ रखने की मुहिम
तनुजा खासकर घरेलू महिलाओं में आत्मविश्वास भरकर उन्हें न केवल ‘वॉक एंड रन’ के लिए प्रोत्साहित करेंगी बल्कि उन्हें आत्मरक्षा के गुर भी सिखाएंगी। हर क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं को एक साथ लाकर उन्होंने शहर को स्वस्थ व तनावमुक्त रखने का बीड़ा उठाया है। इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को शहर के विभिन्न इलाकों में वॉक करने के लिए प्रेरित किया जाता हैं। ‘रन दीवाज’ के नाम से यह ग्रुप हफ्ते में एक दिन वॉक का आयोजन करता है। यह लोगों को यह इतना रास आया कि अब इसके सदस्यों की संख्या 10 से बढ़कर 700 हो गई है।
सब सहजता से दौड़ें
‘रन दीवाज’ कान्सेप्ट के पीछे एक्स नेवल अधिकारी तनुजा सोढ़ी की सोच थी कि वे वर्तमान लाइफस्टाइल में लोगों के गिरते स्वास्थ के लिए कुछ काम करें। जलवायु टावर निवासी तनुजा का कहना है कि आज के दौर में लोग आराम तलब ज्यादा हो गए हैं। खासकर महिलाएं उन्हें अपने लिए एक तो समय नहीं मिलता यदि मिलता है तो उसमें वे अपने स्वास्थ का ध्यान नहीं रखती हैं। फिटनेस कंसल्टेंट होने के नाते तनुजा ने एक ऐसा समूह ज्वाइन किया जिसमें महिलाएं व पुरुष साथ साथ दौड़ लगाते थे लेकिन फिर उन्हें लगा कि अधिकतर महिलाएं पुरुषों के साथ रन करने में ज्यादा सहज महसूस नहीं कर पाती थीं ऐसे में उनके लिए इन्होंने अलग से ग्रुप का निर्माण कर लिया जिसमें शहर की हर वर्ग की महिलाएं एक साथ हिस्सा लेती हैं।
ताकि मिट जाएं दूरियां
इस ‘रन’ को इतने बड़े स्तर पर करने का एक उद्देश्य है कि प्रोफेशनल होते जा रहे लोगों के बीच में जो दूरियां आई हैं उस खाई को पाटकर महिलाओं में आत्मविश्वास भरना है ताकि हर वर्ग की महिलाएं आगे आएं तथा एकजुटता दिखाकर स्वस्थ समाज की परिभाषा को सार्थक करें। इस बारे में तनुजा कहती हैं कि जब सब लोग एक साथ आते हैं तो लगता है कि समाज का यह रूप कितना खूबसूरत है। इसके पीछे के उद्देश्य के बारे में बताते हुए वह कहती हैं कि पहला तो तनाव मुक्ति व स्वस्थ शरीर, दूसरा यह कि इस ‘रन’ के दौरान कई गहरी मित्रता भी हुई हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शहर के आसपास के गांवों व पहाड़ों की खूबसूरती से लोगों का परिचय होता है।
पहले बैच में बनी नेवी अधिकारी
तनुजा सोढ़ी की स्कूली पढ़ार्ई सिंधिया स्कूल ग्वालियर से हुई व फिर उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में मास्टर्स डिग्री ली। शार्ट सर्विस कमिशन में महिलाओं के पहले बैच (1992) में उनका चयन हुआ। तनुजा आइएएस अधिकारी बनना चाहती थीं लेकिन उनके पिता आर्मी में थे तो उन्होंने तनुजा को महिलाओं के लिए पहली बार निकली इस जॉब के लिए आवेदन करने को कहा और सारी तैयारी करवाई। आर्मी में सात सालों की नौकरी के बाद तनुजा ने कारपोरेट जगत में नौकरी की और बाद में बेटा होने के चलते उन्होंने वह छोड़ दी। शौकिया तौर पर वे डाइट व फिटनेस कंसल्टेंट बन गर्इं। पति चरणजीत सिंह सोढ़ी एक अंतराष्ट्रीय बैंक में एक्जेक्यूटिव निदेशक हैं तथा तनुजा को पूरा सहयोग करते हैं।
किताब के जरिए पेरेंटिंग टिप्स
तनुजा ने बदलते दौड़ की बिगड़ती लाइफस्टाइल में बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए एक किताब भी लिखी है। पेरेंटिंग इन द एज आफ मेकडोनल्ड्स’ किताब में उन्होंने फास्टफूड की चुनौतियों से निपटने के लिए पेरेंटिंग को और बेहतर बनाने के टिप्स दिए हैं ताकि भावी पीढ़ी बिगड़ती जीवनशैली के प्रभाव में स्वास्थ न खो दे।
प्रस्तुति : प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम
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