आर्टिफिशियल रेटिना ने बढ़ाई नेत्रहीनों की उम्मीद
दोस्तो, जापान के रिसर्चर्स ने एक ऐसा आर्टिफिशियल रेटिना विकसित करने में सफलता पाई है, जिससे नेत्रहीन लोगों की आंखों की रोशनी लौटाने की उम्मीद बढ़ गई है। इस आर्टिफिशियल विजन सिस्टम से उन लोगों को देखने में काफी मदद मिलेगी, जिनकी किसी बीमारी या अन्य वजह से आंखों की
दोस्तो, जापान के रिसर्चर्स ने एक ऐसा आर्टिफिशियल रेटिना विकसित करने में सफलता पाई है, जिससे नेत्रहीन लोगों की आंखों की रोशनी लौटाने की उम्मीद बढ़ गई है। इस आर्टिफिशियल विजन सिस्टम से उन लोगों को देखने में काफी मदद मिलेगी, जिनकी किसी बीमारी या अन्य वजह से आंखों की रोशनी कमजोर हो गई है।
दोस्तो, आजकल की डिजिटल दुनिया में आंखों की बीमारियों का जोखिम काफी बढ़ गया है।
जापान में तो इन सबकी वजह से करीब 3 लाख लोग अपनी आंखों की रोशनी गंवा चुके हैं। इन सबको देखते हुए जापान के रिसर्चर्स लगातार इस बात की कोशिश में लगे हैं कि ऐसे लोगों की देखने की क्षमता को कैसे वापस लाया जाए।
इस साल जनवरी में जापान के ओसाका में रहने वाली एक महिला की ओसाका यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में आई सर्जरी की गई और उसकी आंखों में आर्टिफिशियल रेटिना लगाया गया। ये रेटिना इलेक्ट्रोड से बनाए गए हैं, जिनकी मदद से महिला की आंखों की रोशनी वापस आ गई।
ओसाका यूनिवर्सिटी ने इसके लिए जिस टेक्नोलॉजी को ईजाद किया है, उसके तहत नेत्रहीन व्यक्ति को एक चश्मा पहनाया जाता है, जिसमें छोटा-सा चार्ज कपल्ड डिवाइस (सीसीडी कैमरा) लगा होता है। यह डिवाइस सीसीडी से हासिल इमेज डाटा शॉट को गले के पास लगे इमेज प्रोसेसिंग डिवाइस को भेजता है।
इस इमेज डाटा को कनवर्ट कर इस तरह से हासिल सिग्नल को रेटिना के आउटर पार्ट स्लेरा में लगाए गए 6 वर्ग मिलीमीटर के इलेक्ट्रोड चिप के द्वारा रेटिना सेल्स (आंख के व्हाइट हिस्से) को भेजा जाता है।