निगाहों के बारे में दूर करें भ्रांतियां
मीडिया की सक्रियता के कारण लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक हो रहे हैं। बावजूद इसके आज भी सेहत के संदर्भ में कई भ्रांतियां व्याप्त हैं। अब आंखों को ही लें, जिनके बारे में लोगों में कई गलत धारणाएं व्याप्त हैं, जिनका तथ्यों की रोशनी में समाधान जरूरी है.. मिथक: कंप्यूटर के इस्तेमा
मीडिया की सक्रियता के कारण लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक हो रहे हैं। बावजूद इसके आज भी सेहत के संदर्भ में कई भ्रांतियां व्याप्त हैं। अब आंखों को ही लें, जिनके बारे में लोगों में कई गलत धारणाएं व्याप्त हैं, जिनका तथ्यों की रोशनी में समाधान जरूरी है..
मिथक: कंप्यूटर के इस्तेमाल से आंखें खराब हो जाती हैं।
तथ्य : कंप्यूटर के प्रयोग से आंखें थकावट या सूखेपन (ड्राईनेस) से ग्रस्त हो सकती हैं पर कंप्यूटर आपकी दृष्टि को कमजोर नहींकर सकता है।
मिथक: आंखों का लाल होना संक्रमण की निशानी है।
तथ्य: आंखें लाल होने का सबसे बड़ा कारण एलर्जी और सूखापन होता है। कई बार संक्रमण भी बैक्टीरिया से न होकर वाइरस से भी हो सकता है, जिसमें एंटी-बॉयटिक ड्रॉप बेकार साबित होते हैं।
मिथक: ठीक फिटिंग न होने पर भी कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से नुकसान नहीं होता।
तथ्य: फिटिंग गड़बड़ होने पर कॉन्टैक्ट लेंस आपकी कॉर्निया को स्थायी रूप से हानि पहुंचा सकते हैं। हमेशा अपने नेत्र चिकित्सक की सलाह के बाद ही उनकी देखरेख में ही कॉन्टैक्ट लेंस का प्रयोग करें।
मिथक: कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर तैराकी कर सकते हैं।
तथ्य: कई बार पूरी तरह दृष्टि छीनने वाले संक्रमण होने की बहुत अधिक संभावना होती है। लेंस लगाकर न तो तैराकी करें और न ही स्टीम बाथ लें।
मिथक: मोतियाबिंद को आईड्रॉप द्वारा काटा जा सकता है।
तथ्य: मोतियाबिंद को किसी भी दवा द्वारा चाहे वह एलोपैथिक हो या किसी और चिकित्सा पद्धति की, उसे काटा या कम या फिर रोका नहीं जा सकता । मोतियाबिंद बढ़ने की रफ्तार हर रोगी में अलग-अलग होती है। इस तथ्य को किसी दवा से जोड़कर न देखें।
मिथक : मोतिया का ऑपरेशन मोतिया के पकने के बाद ही कराएं।
तथ्य: आधुनिक विधि-फेको- में मोतियाबिंद का ऑपरेशन जितनी कच्ची स्थिति में किया जाये, उतने ही अच्छे परिणाम मिलते हैं। आज मोतियाबिंद के पकने का इंतजार करना बिल्कुल व्यर्थ है और आपकी समस्या को बढ़ा सकता है।
मिथक : ग्लूकोमा या काला मोतिया केवल अधिक उम्र के लोगों में होता है।
तथ्य: ग्लूकोमा किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। अगर परिवार के किसी भी सदस्य को यह समस्या है, तो उस परिवार के अन्य सदस्यों को भी अपना नेत्र परीक्षण 35 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से कराना चाहिए।
(डॉ. दिलप्रीत सिंह नेत्र सर्जन)