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मधुमेह से बचाव में कारगर हैं पिस्ता और बादाम

मधुमेह को हम साइलेंट किलर के तौर पर जानते हैं। डॉक्टरों के अनुसार उच्च रक्तचाप, हृदयाघात, किडनी फेल होना, अंधापन सहित कई जानलेवा बीमारियों के लिए यह जिम्मेदार है। लेकिन आज तक इस बीमारी का कोई कारगर इलाज चिकित्सा विज्ञान ढूंढ नहीं पाया है।

By Edited By: Published: Thu, 14 Nov 2013 12:55 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2013 12:55 PM (IST)
मधुमेह से बचाव में कारगर हैं पिस्ता और बादाम

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मधुमेह को हम साइलेंट किलर के तौर पर जानते हैं। डॉक्टरों के अनुसार उच्च रक्तचाप, हृदयाघात, किडनी फेल होना, अंधापन सहित कई जानलेवा बीमारियों के लिए यह जिम्मेदार है। लेकिन आज तक इस बीमारी का कोई कारगर इलाज चिकित्सा विज्ञान ढूंढ नहीं पाया है। डॉक्टरों का मानना है कि सूखे मेवे का संतुलित मात्र में नियमित सेवन मधुमेह से बचाव में कारगर है। नियमित व्यायाम के जरिए भी इस मीठे जहर को शरीर में फैलने से रोका जा सकता है। डॉक्टरों के अनुसार देश-विदेश में ऐसे कई शोध हो चुके हैं, जिनमें यह साबित हुआ है कि यदि मधुमेह के मरीज पिस्ता, बादाम और अखरोट प्रतिदिन खाएं तो शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित रहती है। जीटीबी अस्पताल व यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के एंडोक्त्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिच्म मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. एसवी मधु ने बताया मरीज बादाम के 25 से 30 दाने रोजाना सुबह ले सकते हैं। सूखे मेवों में फाइबर की मात्र ज्यादा होती है, जो शुगर की मात्र को नियंत्रित करता है। जिन लोगों को मधुमेह नहीं है वह भी सूखे मेवे का इस्तेमाल कर सकते हैं। 114 फीसद दिल्लीवासी हैं शिकार डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. एके डिागन ने बताया कि राजधानी में 14 फीसद लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। करीब इतने ही फीसद लोग मधुमेह की चपेट में आने की कगार पर हैं। चिंता की बात यह है कि बिगड़ती जीवनशैली, जंक फूड, फास्ट फूड, स्मोकिंग व शराब के सेवन के चलते युवा इसके शिकार हो रहे हैं। इससे रक्तचाप व हृदय की बीमारियों के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

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मोटापा भी है बड़ा कारण

भारत में ज्यादातर टाइप-2 मधुमेह के मरीज हैं। इसका बड़ा कारण मोटापा है। दिल्ली में 17 से 20 प्रतिशत बच्चे अधिक वजन के हैं। इस वजह से बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं।

आख, हृदय व किडनी करता है अटैक

हृदयाघात से होने वाली 70 फीसद मौत का कारण मधुमेह है। साथ ही 40 प्रतिशत लोगों में यह किडनी खराब होने का कारण बन रहा है। इसके अलावा कई मरीजों की आख की रोशनी भी चली जाती है और पैर सून हो जाता है।

तीन महीने पर कराएं टेस्ट

डॉ. डिागन ने बताया कि तीन महीने पर एचबीए1सी (ग्लाइकोसुलेटेड हेमोग्लोबिन टेस्ट) कराकर मधुमेह को नियंत्रित कर सकते हैं। स्वस्थ व्यक्ति में एचबीए1सी की सामान्य मात्र चार से छह फीसद होती है। यदि किसी मरीज में यह आठ फीसद हो और जाच के बाद वह इसे एक प्वाइंट भी कम कर ले तो शरीर में होने वाली 24 जटिलताओं से बच सकता है।

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